जैसा कि हम जानते है कि हमारे देश का एक विविध औपनिवेशिक अतीत है उन्हीं उपनिवेशवादियों ने भारतीय संस्कृति पर अपने महत्वपूर्ण पदचिह्न छोड़े हैं। हममें से ज़्यादातर लोग जानते हैं कि उपनिवेशवाद के दिनों में भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर ब्रिटिश, फ्रेंच और पुर्तगालियों का शासन था। जबकि तमिलनाडु के तट पर स्थित एक अज्ञात शहर को डेनिश उपनिवेशियों ने शासित किया था। पूर्व में ट्रेन्किबार के नाम से प्रसिद्ध एवं आज का तरंगमबाड़ी, 150 साल एक डेनिश विदेश क्षेत्र था। वर्तमान में तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में स्थित तरंगमबाड़ी भारत का एकमात्र डेनिश शासित शहर है।
ट्रेन्किबार के डेनिश शासन का इतिहास
सोलहवीं शताब्दी के शुरुआती हिस्से में डेनिश समुदाय का दक्षिण भारतीय राज्यों और वर्तमान के श्रीलंका के साथ मजबूत व्यापार संबंध थे। उनके द्वारा मसालों और जड़ी बूटियों का कारोबार स्कैंडिनेवियाई की भूमि पर ले जाकर किया जाता था। लेकिन इस समृद्ध व्यापार को अन्य औपनिवेशिक ताकतों द्वारा बाधित किया जा रहा था। अपने व्यापार को मजबूत करने के लिए डेनिश जनरल ओवे गजदेदे ने तंजावुर नायक साम्राज्य के राजा से तटीय शहर में डेनिश बस्तियों को स्थापित करने के लिए संपर्क किया। उन्होंने समुद्र के नजदीक फोर्ट डान्सबोर्ग बनाने की अनुमति मांगी। राजा इस समझौते पर सहमत हुए और फिर डेनिश समुदाय ने डेनमार्क से दूर ट्रेन्किबार में अपने घर बनाए।
डेनिश शासन के दौरान, शहर का नाम बदलकर डेनमार्क में (समंदर की संगीतमय लहरों) के नाम पर “ट्रैनकबर” रखा गया। सन 1845 में डेनिश समुदाय ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को अपनी शक्ति स्थानांतरित करने का फैसला किया, लेकिन आज की तरंगमबाड़ी किसी तरह से अपनी डेनिश जड़ों को बचाने में कामयाब रही है। मछुवारों का यह छोटा सा गांव आज तमिलनाडु का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो यहाँ आने वाले यात्रियों को भारत में डेनिश संस्कृति से रूबरू करवाता है।
ट्रेन्किबार के पर्यटन स्थल
ट्रेन्किबार टाउन गेटवे-
ट्रेन्किबार टाउन गेटवे किंग्स स्ट्रीट पर स्थित है जो तरंगमबाड़ी की मुख्य सड़क है। स्थानीय लोग इस गेट को (गेटवे टू ट्रांकबर) के रूप में उल्लेखित करते हैं, पिछले कई वर्षों से यह शहर के मुख्य प्रवेश द्वार है। जबकि मुख्य प्रवेश द्वार डेनिश शासकों द्वारा बनाया गया था, लेकिन बाद में उसे नष्ट कर दिया गया था। वहीं आधुनिक मुख्य द्वार भी डेनिश वास्तुशिल्प शैली के अनुसार बना हुआ है। व्हाइट गेटवे के शीर्ष पर एक शिलालेख (एनो 1792) है जिसका अर्थ है कि गेटवे 1792 में बनाया गया था। वहीं पास ही में एक संग्रहालय है, जिसमें डेनिशराज के दिनों की कई खूबसूरत कलाकृतियां संजोकर रखी गयी हैं।
फोर्ट डान्सबोर्ग-
यह वह जगह है जहां ट्रैनकबर में डेनिश शासन शुरू हुआ था। फोर्ट डान्सबोर्ग या स्थानीय लोगों द्वारा पुकारे जाने वाले डेनमार्क किला का निर्माण 1620 में स्थानीय राजा द्वारा डेनिश ने समुदाय को प्रदान की गई भूमि पर किया था। यह किला बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है और सागर के आश्चर्यजनक दृश्य पेश करता है। किले में स्तंभित संरचनाओं और ऊँची छत का एक अद्वितीय वास्तुशिल्प है। इस दोमंजिला किले के अधिकांश कमरे लॉक रहते हैं। आज भी आप यहाँ समुद्र की ओर निशाना लगाए हुए एक तोप को देख सकते हैं ! यह किला ट्रेन्किबार में डेनिश शासन के युग को समझने का बेहतर तरीका है इसके लिए यहाँ की एक यात्रा जरूरी है।
नोट- डेनमार्क में क्रोनबोर्ग के बाद फोर्ट डान्सबोर्ग दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डेनिश किला है!
बंगाल की खाड़ी के खूबसूरत दृश्यों को देखने के लिए किले की प्राचीर पर ज़रूर जाएं।
डेनिश संग्रहालय-
ट्रैनकबर की समृद्ध और शानदार विरासत के बारे में और जानने के लिए फोर्ट डांसबोर्ग के भीतर स्थित ट्रैनकबर डेनिश संग्रहालय की एक यात्रा जरूरी है। संग्रहालय में ट्रैनकबर के डेनिश इतिहास का प्राचीन रूप शामिल है जिनमें डेनिश पांडुलिपियों, कांच की वस्तुएं एवं चाय के जार सजाए गए हैं इसके अलावा टेराकोटा की बनी वस्तुओं और कई अन्य प्रदर्शन वस्तुएं शामिल हैं। आप इस संग्रहालय से ट्रैनकबर में डेनिश शासन से जुड़ी बहुत सारी जानकारी एकत्रित कर सकते हैं।
समय- सुबह 10 – शाम 5 बजे
प्रवेश शुल्क- रु 10, कैमरा के लिए रु 30
न्यू जेरूसलम चर्च-
न्यू जेरूसलम चर्च किंग्स स्ट्रीट पर स्थित वास्तुकला का एक राजसी हिस्सा है। शुरुआती चर्च बिल्डिंग जो यरूशलेम चर्च के नाम रखी गई थी 1707 में डेनिश मिशनरी द्वारा बनाई गई थी। लेकिन एक भयंकर सुनामी ने 1715 में चर्च की इमारत को नष्ट कर दिया। बाद में न्यू जेरूसलम चर्च बड़े आवास और भव्य वास्तुकला के साथ बनाया गया। इस सफेद इमारत में डेनिश और भारतीय वास्तुकला का एक प्रभावशाली मिश्रण है। यह चर्च डेनिश राजा फ्रेडरिक चतुर्थ को उनके जन्मदिन पर 1718 में अर्पित किया गया था। इस चर्च की नींव का पत्थर अभी भी डेनिश राजा फ्रेडरिक चतुर्थ के नाम पर है।
नोट- यदि आप क्रिसमस का जश्न डेनिश तरीके से मनाना चाहते हैं, तो आपको इस चर्च में जाना चाहिए।
डेनिश गवर्नर का बंगला-
यह भव्य इमारत फोर्ट डान्सबोर्ग के ठीक विपरीत है। यह 1780 के दशक में बनाई गई थी और डेनिश राज्यपाल के निजी निवास के लिए इस्तेमाल में लाई जाती थी। बंगले की दीवारें, सुंदर खिड़कियां, दरवाज़े और विशाल खंभे यहाँ आने वालों को यूरोपीय संस्कृति का अनुभव करवाती हैं। मूल इमारत में कई बार मरम्मत हुई हैं, जिसने इसकी खूबसूरती को और बढ़ाया है। ट्रेन्किबार डेनमार्क गवर्नर के बंगला में एक डांस फ्लोर, सर्विस एरिया और कई अन्य भव्य कमरें हैं।
नोट- बंगला ज्यादातर बंद रहता है, इसलिए यात्रा का भुगतान करने से पहले प्रवेश नियमों के बारे में पूछताछ कर लें।
ज़ीयन चर्च-
ज़ियोन चर्च तरंगमबाड़ी में सबसे पुराना चर्च है। यह फोर्ट डान्सबोर्ग के परिसर में स्थित है इसे प्रसिद्ध डेनिश मिशनरी रेव बार्थोलोमाउस ज़िजेनबल्ग द्वारा बनवाया गया था। ज़ियोन चर्च को भारत में पहला प्रोटेस्टेंट चर्च भी माना जाता है। चर्च परिसर को हरी घास से सजाया गया है, जबकि अंदरूनी हिस्सों को 1707 में ज़ियोन चर्च में बैप्टिज़म स्वीकार करने वाले पहले पांच भारतीय के रूपों को चिन्हित करने के लिए पीतल के पट्टों के रूप में पॉलिश कर सजाया गया है।
ट्रेन्किबार समुद्री संग्रहालय-
डेनिश समुदाय के लोगों को महान नाविक माना जाता था और यह संग्रहालय उनके कुछ उपकरणों को प्रदर्शित करता है। पुरानी डेनिश नौकाएं, ट्रैनकबर के पुराने मानचित्र और मछली पकड़ने की नौकाओं वाली तस्वीरों का यह संग्रहालय एक समृद्ध संग्रह है। संग्रहालय डेनिश कमांडर हाउस में स्थित है और डेनिश ट्रैनकबर एसोसिएशन द्वारा चलाया जाता है। समुद्री इतिहास पर किताबों के एक बड़े संग्रह के अलावा ट्रैनकबर समुद्री संग्रहालय में ट्रैनकबर में 2004 सुनामी के प्रभावों को दर्शाते हुए एक विशेष फोटो-वीडियो शो आयोजित किया जाता है।
समय- सुबह 9:30- 2, दोपहर 2:30- 5 बजे
प्रवेश शुल्क- रु 5 भारतीयों के लिए एवं रु 50 विदेशी नागरिकों के लिए
पुराना डेनिश कब्रिस्तान-
बिखरे हुए डेनिश घरों और किले डान्सबोर्ग के अलावा यह कब्रिस्तान ट्रैनकबर के डेनिश युग का एक और महत्वपूर्ण अवशेष है। पुराने डेनिश कब्रिस्तान में कई उल्लेखनीय डेनिश रईस और उच्च रैंकिंग सैन्य अधिकारी दफन हैं। यहाँ स्थित कब्रों के नेमप्लेट आपको उनके जीवन की झलक देते हैं और ट्रैनकबर में डेनिश शासन को उल्लेखित करते हैं।
ट्रेन्किबार बीच-
यहाँ का समुंद्र तट भारत में सबसे रोमांटिक समुद्र तटों में से एक है, अगर आप यहाँ आए तो, आप यहाँ अपने साथी का हाथ थामकर समुद्र के किनारे सैर ज़रूर करना चाहेंगे। यहाँ का दृश्य वाकई में मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। ट्रेन्किबार बीच के मुख्य आकर्षणों में से एक यहाँ स्थित प्राचीन बंगला भी है। यह एक डेनिश राजकुमार का घर था, लेकिन अब इसे एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है।
नोट- समुद्र तट के पास टहलते हुए आप जेलीफ़िश केकड़ों और अन्य जलीय प्रजातियों को भी देख सकते हैं ये आमतौर पर किनारे से ही दिख जाते हैं।
टिप- सूर्यास्त के समय समुद्र तट के पास ज़रूर जाएं। इस वक़्त समुद्र तट पर सूर्यास्त के दृश्य काफी मनोरम एवं अविस्मरणीय होते हैं।
ट्रेन्किबार या तरंगमबाड़ी, भारतीय इतिहास के एक अद्वितीय हिस्से की यादों का संरक्षित खज़ाना है। चेन्नई और पांडिचेरी से थोड़ी दूरी पर स्थित तरंगमबाड़ी तमिलनाडु के पर्यटन का छिपा हुआ आकर्षण एवं कभी न भूलने वाला स्थान है।
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बहुत सुंदर व रोचक जानकारी
धन्यवाद??