बात जब दीपावली के पटाखों की हो तब तामिलनाडू के शिवकाशी नगर का नाम कैसे भूला जा सकता है? आप भले ही कभी शिवकाशी न गए हो मगर दीपावली में होने वाली आतिशबाजी का इस शहर से सदियों का नाता है। हालांकि अब ये बात अलग है कि आज के दौर में दीपावली में मिलने वाले पटाखों पर भी चीन निर्मित पटाखों का अधिकार काफी हद तब बढ़ गया है। मगर शिवकाशी भारत का एक ऐसा नगर है जहां की अर्थव्यवस्था इन्हीं पटाखों के निर्माण पर टिकी हुई है। चलिए आज आपको बताते है इस शहर से जुड़ी कुछ रोचक बातें-
सोल्हवी शताब्दी में शिवकाशी के राजा हरीकेसरी पक्कीरामा पांडियन द्वारा उत्तर प्रदेश के वाराणसी से शिवलिंग ले जाकर शिवकाशी में स्थापित करवाया गया था। शिवलिंग की स्थापना के लिए वहां उन्होंने द्रविड शैली में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। उसके बाद स्थान का नाम शिवकाशी रखा गया था।
देश भर के कुल उत्पादित पटाखों का 90 प्रतिशत उत्पादन शिवकाशी के लगभग 8000 छोटे-बड़े कारखानों में होता है। इसलिए इसे पटाखों के कारखाने की राजधानी भी कहा जाता है। पटाखों के अलावा रसोईघर में इस्तेमाल होने वाली दियासिलाई यानि माचिस के 80 प्रतिशत कारखाने भी यहीं स्थित है।पटाखों एवं माचिस के अलावा ये शहर अपने पकौड़ों और ऑफसेट प्रिंटिग के काम के लिए भी प्रसिद् है। पकौड़ों के साथ यहां पाल साधम (खीर) परोसी जाती है। जो बहुत ही स्वादिष्ट होती है। शिवकाशी को कुट्टी जापान भी कहा जाता है। इस शहर को ये नाम भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व जवाहर लाल नेहरू ने दिया था। यहां कुट्टी का अर्थ छोटा होता है।
शिवकाशी के नाम पर साल 2005 में एक तामिल फिल्म शिवकाशी भी बनाई गई थी। जिसमें हिन्दी एवं दक्षिण भारत की फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री आसीन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। उस फिल्म ने बॉक्स आफिस पर अच्छा कारोबार भी किया था। बाद में इसका हिन्दी और तेलुगू में रूपातंरण भी किया गया जिनका नाम विरासत की जंग और तेलुगू में विजयदशमी था।
शिवकाशी नगर तामिल नाडर समुदाय के बहुल वाले क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। नाडर वहां एक सम्पन्न समुदाय के रूप में जाने जाते है, जिनका मुख्य पेशा व्यापार है। शिक्षा के क्षेत्र में भी इनका काफी योगदान है। साथ ही ये बड़ी-बड़ी जमीनों के मालिक भी है। शिवकाशी का प्रसिद्व पथिरा काली अम्मन मंदिर तामिलनाडू राज्य का सबसे ऊँचा 110 फुट का मंदिर है।
शिवकाशी नगर जितना अपने पटाखों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही ये नगर बाल मजदूरी और यहाँ की पटाखा फैक्ट्री में होने वाले जानलेवा हादसों के लिए बदनाम भी रहा है। यहां काम करने वाले बच्चे न सिर्फ चर्मरोग का शिकार होते है बल्कि फेफड़ों के संक्रमण रोगों की चपेट में भी आ जाते है।
शिवकाशी एक गर्म स्थान है। जहां वर्षा काफी कम मात्रा में होती है। यहां स्थित पटाखा उद्योग की सफलता के पीछे यहां के मौसम का बड़ा योगदान है जो इस प्रकार के उद्योगों के लिए अनुकूल होता है। यहां का औसतन तापमान 23 डिग्री से 39 डिग्री के बीच रहता है। तथा आर्द्रता का स्तर भी यहां औसत से काफी अधिक 65 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच रहता है।