सफ़र हमारे जीवन का एक ऐसा अनुभव होता है जिससे हमारे अंदर कुछ नए बदलाव होते हैं। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि घूमना-फिरना कई मानसिक बीमारियों का इलाज होता है। कुछ अपवादों को छोड़कर ऐसा देखा जाता है कि अक्सर घूम-फिर कर लौटने के बाद लोगों में एक नई ऊर्जा होती है। वे अपनी प्रोफशनल एवं पर्सनल लाइफ में पहले से बेहतर तरीके से काम करते हैं। साथ ही, हर सफ़र में हमें कितना कुछ जानने-सीखने को मिलता है। एक ट्रैवलर, एक घुमक्कड़ की नज़र से आइये जानते है कि सफ़र हमें क्या-क्या सीखतें हैं…
सफ़र सिखाता है मैनेजमेंट के स्किल्स-
जो लोग अक्सर एक ही रूट पर सफ़र करते है वो भले ही उस रास्ते की जानी अनजानी हर चीज़ से वाकिफ़ हों, मगर वहीँ कम सफ़र करने वाले लोगों के लिए उनके हर सफ़र का अनुभव नया होता है। इस कारण उन्हें हमेशा कुछ न कुछ मैनेज करना सीखना पड़ता है और भविष्य में यही नई सीख उनके बहुत काम भी आती है।
कभी एक्स्ट्रा लगेज का चक्कर, कभी पसंद का खाना न मिल पाना तो कभी एकदम ही विपरीत व्यवहार वाले सहयात्रियों के साथ सफ़र करना। अगर आप देखें, याद करेंगे तो ऐसी कई यादें आपकी आँखों के सामने तस्वीरों सी तैरने लगेंगी जब किसी सफ़र के दौरान आपने न चाहते हुए भी बहुत कुछ मैनेज किया था और ये सब आपके साथ पहली बार हुआ था। उस सफ़र में शायद आप खासें परेशान भी हुए होंगे। मगर बाद में आपका वही मैनेजमेंट स्किल आपके बहुत काम भी आया होगा।
टूटते हैं कई भ्रम-
अक्सर ऐसा देखा गया है कि लोग अनजाने शहर, वहाँ के निवासियों एवं संस्कृति को लेकर भ्रम में रहते हैं। जबकि उनके द्वारा पाले गए ज़्यादातर भ्रम दूसरों से सुनी-सुनाई बातों की वजह से पैदा हुए होते हैं। ऐसे में वहाँ जाकर देखें-समझे बिना किसी शहर, राज्य या देश के बारे में राय बनाना एक बड़ी भूल हो सकती है।
मसलन बिना दक्षिण भारत गये ही बहुत से उत्तर भारतीय लोग ये समझते हैं कि अगर आपको अंग्रेजी आती है तो आप दक्षिण भारत में बड़े आराम से किसी से भी संवाद स्थापित कर सकते हैं। मगर शायद ऐसा कम ही लोग जानते होंगे कि वहाँ के बहुत से लोग सिर्फ अपनी ही भाषा जानते है एवं उसी भाषा में संवाद करते हैं।
बढ़ता है आत्मविश्वास-
हालाँकि इसे खासकर महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है, मगर इस बात को पूरी तरह से सही भी नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ महिलाएँ ही अकेले सफ़र से हिचकिचाती हैं। आपको अपने ऐसे इर्दगिर्द बहुत से पुरुष और नवयुवक भी मिल जाएंगे जो सफ़र करने में सहज नहीं होते। वहीँ इसके विपरीत ऐसी बहुत सी महिलाएँ दिख जाएंगी जो अकेले सफ़र करती है और हमेशा आत्मविश्वास से भरपूर रहती हैं।
सीखने–सिखाने का अनोखा मौका–
क्या आपने कभी कठपुतली डांस की कठपुतली अपने हाथों से नचाई है? या कभी इस कला को सीखने के लिए आपका दिल मचला है? लैपटॉप, आईफोन और आधुनिक गैजेट्स से इतर क्या कभी आपने किसी गाँव में जाकर किसानों से खेती के गुण सीखने की कोशिश की हैं? या फिर अपने किसी सफ़र के दौरान कोई खास कलाकारी, जिसमें आपको महारत हासिल है वो दूसरों को सिखाई हो? दरअसल ऐसा हममें से बहुत ही कम लोग करते हैं।
तो, क्यों न अब से अपने हर सफ़र में हम ये कोशिश करें कि हर नए सफ़र से कुछ नया सीख-सिखा कर आएँगे।
जोड़े नए रिश्ते–
कहते हैं कि हमारे जितने ज्यादा दोस्त होंगे, सामाजिक तौर पर हम उतने ही ज्यादा धनी होंगे। मगर सोशल मीडिया ने इस रिश्ते को कृत्रिम सीमाओं में कैद कर दिया है। वैसे तो हमारें हजारों दोस्त हैं मगर न कभी मिले, न ही साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए गप्पे लड़ाई और साथ में शॉपिंग ही की। कारण साफ़ है कि उनमें से ज़्यादातर तो किसी और शहर या देश में रहते हैं। बस फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और बन गए आभासी दुनिया के दोस्त।
ऐसे में कितना अच्छा हो कि हम जहाँ कहीं भी घूमने जाएँ कुछ रियल फ्रेंड्स बनाएं। उनके साथ घूमें उनके शहर, बोली भाषा और संस्कृति आदि को नजदीक से जानें समझें। ऐसा करने से न ही सिर्फ हम कुछ नए रिश्ते जोड़ पाएँगे बल्कि ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद भी कर पाएँगे। अब अंजाने शहर में कोई तो भरोसे का रिश्ता भी होना चाहिए, है की नहीं ?
जो देखे, जो सीखें उसे लिखें-
ये सच है कि हर कोई लेखक नहीं बन सकता, लेकिन अपनी यात्राओं में हमारा जो भी अनुभव रहा हो उसे शब्दों में बांधने की कोशिश तो करें। क्या पता आपका लिखा अनुभव पढ़ने वालों के किसी काम आ जाए। वो आपके बताए टिप्स से अपनी यात्रा को और भी शानदार तरीके से प्लान कर पाएँ। क्या पता आप उन्हें अपने अनुभव के द्वारा ये बता पाएँ कि अच्छी सर्विस देने वाला बढ़िया होटल कैसे बुक करें।
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