रोज़ाना हज़ारों लाखों की संख्या में लोग भारतीय रेलवे से यात्रा करते हैं जिन सभी की कोशिश किसी भी तरह से एक अदद कन्फर्म टिकट प्राप्त करना होता है। मगर आधे से ज्यादा लोगों को जहाँ आरएसी टिकट से संतुष्टि करनी पड़ती है वहींउनसे भी ज्यादा लोगों को वेट लिस्टेड टिकट से काम चलाना पड़ता है। ऐसी अवस्था में हर रेलयात्री जिसे वेट लिस्टेड टिकट मिलती है वो इसी पसोपेश में होता है कि वेट लिस्टेड टिकट के द्वारा यात्रा करें या न करें। जबकि इसी दौरान उनके दिमाग में बहुत सारे जाने-अनजाने सवाल उभर आते हैं जिनका जवाब उनके पास नहीं होता। या फिर यूं कहें कि जो जानकारी होती है वो अपने आप में अपुष्ट, अधूरी होती है। अपने इस लेख के द्वारा आज हम आपको ऐसे ही दुविधा भरे सवालों का जवाब तलाशने में मदद करेंगे।
क्या वेट लिस्टेड टिकट की सूची में प्रतिदिन बदलाव होता है ?
जी हाँ, वेट लिस्टेड टिकट सूची में प्रतिदिन बदलाव होता है। जबकि ऐसा ज़रूरी नहीं है कि इसका सीधा प्रभाव आपको आपकी टिकट में देखने को मिले। हालाँकि प्रतिदिन बदलाव का ये तरीका विशेषज्ञों के बीच भी बहस का विषय है। वैसे यदि एक भी टिकट किसी यात्री द्वारा कैंसिल की जाती है तब आपकी वेट लिस्टेड टिकट एक नंबर आगे बढ़ती है। ऐसा अमूमन किसी टिकट के रद्द होने के कुछ घंटों के बाद होता है, जब वेट लिस्टेड टिकट सूची को अपडेट किया जाता है।
ऐसे कौन से कारण हैं जो किसी वेट लिस्टेड टिकट के कन्फर्म होने में योगदान देते हैं ?
ऐसे बहुत से महत्वपूर्ण कारक है जो कि किसी वेट लिस्टेड टिकट के कन्फर्म होने में अपना योगदान देते है नीचे पढ़िए उनके बारे में-
ट्रेन टाइमिंग-
किसी भी यात्री के लिए यात्रा शुरू करने का समय एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। इसमें शाम 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक चलने वाली ट्रेनें काफी महत्वपूर्ण होती हैं। आंकड़ों के अनुसार इस वक़्त की ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट अधिक होती है। जिसका मुख्य कारण लोगों का अपना ज़्यादातर काम दिन के पहले पहर में निपटाकर शाम को यात्रा करने की आदत है। वहीं बहुत से लोग इस समय को इसलिए भी चुनते हैं ताकि उन्हें रात में सोने की परेशानी न हों।
त्योहार-
भारत त्योहारों का देश है यहाँ ट्रेन और त्योहारों का एक अनोखा गणित है। ऐसे में यदि आप किसी भी त्योहार के आस पास उस नगर की यात्रा करना चाहते है जहाँ उस त्योहार को प्रमुखता से मनाया जाता है तो आपकी टिकट कन्फर्म होने के आसार काफी कम ही होंगे। क्योंकि उन दिनों वहाँ जाने वाले यात्री अपनी यात्रा का प्लान बहुत सोच-समझ कर बनाते है। ऐसे में उनके टिकट के कैंसिल होने की संभावना काफी कम होती है, जिस कारण से आपकी वेट लिस्टेड टिकट कन्फर्म हो जाएगी इसके चांसेस भी कम हो जाते हैं।
कोटा-
भारतीय रेलवे में सीट कोटा के अंतर्गत बहुत सी सीटों को सुरक्षित रखा जाता है इनमें वीआईपी कोटा, विकलांग कोटा, वृद्ध कोटा, फॉरेन सिटीजन कोटा के अलावा भी कई श्रेणियां हैं। ऐसे में बहुत सी सीटें अंतिम वक़्त तक अपने लाभार्थी के लिए सुरक्षित होती हैं जिस कारण आपकी टिकट कन्फर्म नहीं हो पाती। रेलवे द्वारा ऐसी सीटों को आखिरी समय में ही सामान्य श्रेणी के यात्रियों को दिया जाता हैं, ऐसा भी तभी होता है यदि उनके लाभार्थी उस समय यात्रा न करें तब, मगर ये भी बहुत कम ही होता है।
दुर्घटना, मौसम की खराबी एवं ट्रेन कैंसलेशन-
ये कुछ ऐसी अनिश्चित समस्याएँ है जो कभी भी आपकी यात्रा में रोड़ा बन सकती हैं। ऐसे स्थिति में यदि आपके पास वेटिंग लिस्ट टिकट है तब तो शायद आपकी वो टिकट भी स्वतः रद्द हो जाए। जी हाँ , दरअसल जब कोई ट्रेन दुर्घटना मौसम की खराबी या किसी अन्य कारणों से कैंसिल कर दी जाती है तब रेलवे उन ट्रेनों के कन्फर्म सीटों के यात्रियों को प्राथमिकता देते हुए आपकी ट्रेन की वो सीटें भी उन्हें उपलब्ध करवा देती है जो शायद आपको मिलने वाली थी। इस कारण आपकी वेटिंग लिस्ट टिकट भी स्वतः रद्द हो जाती है।
क्यों टिकट बुकिंग के कुछ दिनों बाद तक वेटिंग लिस्ट में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलता ?
इस प्रकार की समस्या के लिए आपकी टिकट बुकिंग का दिन और यात्रा की तारीख के बीच के दिनों का लंबा अंतर जिम्मेदार होता है। दरअसल बहुत से लोग अपनी दो महीने बाद की संभावित यात्रा की टिकट बहुत पहले बुक कर लेते हैं। ऐसे यात्री अंतिम समय तक “जाना है या नहीं जाना है” जैसी ऊहापोह की स्थिति में रहते हैं। इस कारण आपको वेटिंग लिस्ट की टिकट मिलती जिनके नंबर का बदलाव भी बहुत सुस्त होता है। मगर यात्रा की तिथि आने के कुछ दिन पहले बहुत तेज़ी से बदलते है।
क्यों कुछ वेट लिस्टेड टिकटों के वेटिंग नंबर बड़ी तेज़ी से परिवर्तित होने लगते हैं ?
दरअसल ऐसा आपके ट्रेन चुनने के निर्णय के कारण होता है, यात्रा के संदर्भ में ट्रेनों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
प्रथम श्रेणी- इस श्रेणी के अंतर्गत वैसी रेलगाड़ियाँ आती हैं जिनमें कम स्टॉपेज, समय की पाबन्दी एवं ट्रेन की गति सबसे तेज़ होती हैं। इनमें शताब्दी, राजधानी दुरंतों जैसी रेलगाड़ियाँ शामिल हैं। ऐसी गाड़ियों की वेट लिस्टेड टिकट्स में यात्रा के पहले अंतिम सप्ताह में ही आपको बहुत तेज़ फेरबदल देखने को मिलेंगे। दरअसल ऐसी ट्रेनों में कन्फर्म टिकट करवा चुके रेलयात्री अंतिम समय तक अपनी टिकट को कैंसिल नहीं करवाते। इसके बहुत से कारण होते हैं जिनमें से एक मुख्य कारण ऐसी सुविधा वाली ट्रेन का कन्फर्म टिकट प्राप्त होना। ऐसे में ये अंतिम समय तक अपनी यात्रा को लेकर पॉजिटिव ही रहते हैं।
द्वितीय श्रेणी- इस श्रेणी के अंतर्गत उन ट्रेनों को रखा गया है जिनकी सेवाएँ औसतन होती हैं। वहीं जब किसी यात्री को प्रथम श्रेणी की टिकट नहीं मिलती तब वह इस विकल्प को देखता है। ऐसी गाड़ियाँ कभी समय पर और कभी समय से काफी लेट चलती हैं। इनमें प्रथम श्रेणी की ट्रेनों की तुलना में अधिक स्टॉपेज भी होते हैं। इस श्रेणी की गाड़ियों में प्रायः 1 महीने पहले से ही वेटिंग लिस्ट में अच्छा खासा बदलाव देखने को मिलने लगता है जो कि घटते समय के साथ तेज़ होता जाता है।
तृतीय श्रेणी- इसके अंतर्गत ऐसी ट्रेनें आती हैं जिन्हें यात्रा के लिए अंतिम विकल्प माना जाता है। काफी लेट लतीफ़ चलने वाली इन ट्रेनों में छोटे-बड़े कई स्टॉपेज आते हैं वहीं जो लोग इन गाड़ियों के टिकट लेते हैं वो अपनी यात्रा के अंतिम समय तक किसी और विकल्प का प्रयास भी करते रहते हैं ऐसे में इन गाड़ियों के वेट लिस्टेड नंबर में आपको 2 महीने पहले से ही परिवर्तन देखने को मिल जाएंगे।
यात्रा के पहले वाले अंतिम सप्ताह में क्यों वेट लिस्टेड टिकट्स के नंबर बहुत तेज़ी से बदलते हैं ?
भारतीय रेलवे में आप अपनी यात्रा का टिकट 120 दिनों पहले बुक करवा सकते हैं। ऐसे में हजारों यात्री अपनी भविष्य की यात्रा को ध्यान में रखते हुए काफी पहले ही अपना टिकट बुक कर लेते है। जबकि ऐसे यात्री अपनी टिकट कैंसिल करने का निर्णय यात्रा के सप्ताह दो सप्ताह पहले से लेना शुरू करते हैं। इसके अलावा रेलवे द्वारा टिकट कैंसिलेशन पर काटे जाने वाला शुल्क भी इसमें बड़ी भूमिका निभाता है। यदि आप अपनी कन्फर्म टिकट को यात्रा के 48 घंटे पहले कैंसिल करते है तब आपको आपके पूरे रूपये (बुकिंग चार्जेज काटकर) वापस मिल जाते हैं इस कारण ज़्यादातर यात्री इस नियम का लाभ अंतिम समय तक बनाए रखते हैं।
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