हिमाचल प्रदेश-
बैजनाथ में बिनवा पुल के पास रावण का एक मंदिर है जहाँ शिवलिंग व पास में एक बड़े पैर का निशान है। ऐसी मान्यता है कि रावण ने इसी स्थान पर एक पैर पर खड़े होकर भगवान्त शंकर की तपस्या की थी। यहाँ शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक हवन कुंड भी निकला था। कहा जाता है कि इस कुंड के समक्ष रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी।
उत्तर प्रदेश-
इटावा के जसवंतनगर में दशहरे के दिन रावण की आरती उतारकर पूजा की जाती है। वहाँ रावण को जलाने की बजाय रावण को मार-मारकर उसके टुकड़े कर दिए जाते है। बाद में लोग रावण के पुतले के टुकड़ों को घर ले जाते हैं। यहाँ रावण की मौत की तेरहवीं भी की जाती है।
नवरात्र के सप्तमी को जसवंतनगर के रामलीला मैदान में लगभग 15 फुट ऊंचा रावण का पुतला लगाया जाता है। दशहरा पर जब रावण युद्ध करने को निकलता है। तब यहाँ उसकी आरती होती है, जय-जयकार होती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि रावण बहुत ज्ञानी था और यहाँ रावण के पांडित्य और ज्ञान रुपी स्वरुप को पूजा जाता है एवं उसके राक्षसत्व के कारण उसका वध भी किया जाता है।
मध्यप्रदेश-
मंदसौर में भी रावण को पूजा जाता है। मंदसौर के खानपुरा में रूण्डी नामक स्थान पर रावण की विशालकाय मूर्ति स्थापित है। किवदंती है कि रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था। रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंदसौर की निवासी थी। ऐसी मान्यता है कि मंदोदरी के कारण ही दशपुर का नाम मंदसौर पड़ा था। इसके अलावा छिंदवाड़ा में भी रावण की पूजा की जाती है।
राजस्थान-
जोधपुर में भी रावण का मंदिर है। यहाँ के दवे, गोधा एवं श्रीमाली समाज में रावण की विशेष मान्यता हैं। इन समुदायों के लोग मानते हैं कि जोधपुर का मंडोर रावण की पत्नी मंदोदरी का पीहर है एवं रावण के वध के बाद रावण के वंशज यहाँ आकर बस गए थे। इसलिए, यहाँ के लोग स्वयं को रावण का वंशज मानते हैं।
कर्नाटक-
कोलार के निवासी स्थानीय फसल महोत्सव के दौरान रावण की विशेष पूजा करते हैं। ये ऐसा इसलिए करते है क्योंकि रावण भगवान शिव का भक्त था। लंकेश्वर महोत्सव में भगवान शिव एवं रावण की प्रतिमा एक साथ जुलूस की शोभा बढ़ाते हैं। राज्य के मंडया जिले के मालवल्ली तालुका में भी रावण का एक मंदिर है।
हिमाचल प्रदेश-
कांगड़ा में शिवनगरी के नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि रावण का पुतला जलाना तो दूर, ऐसा सोचना भी उनके लिए महापाप है। यदि ऐसा किया गया तो करने वाले की मौत निश्चित है। मान्यता के अनुसार रावण ने कुछ वर्ष बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था। इसलिए शिव के सामने उनके परमभक्त के पुतले को जलाना उचित नहीं था और ऐसा करने पर दंड तत्काल मिलता था। लिहाजा यहाँ रावणदहन नहीं होता।
उत्तरप्रदेश-
गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसरख गांव में रावण का एक नया मंदिर है। इस स्थान को रावण के पिता ऋषि विश्रवा की तपोस्थली एवं रावण की जन्मस्थली माना जाता है। नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गांव बिसरख के साक्ष्य मौजूद हैं। इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था जो रावण के पिता ऋषि विश्रवा के नाम पर था। कालांतर में इसे बिसरख कहा जाने लगा।
मध्य प्रदेश-
उज्जैन के चिखली ग्राम में तो रावण को लेकर ऐसी मान्यता है कि यदि यहाँ के निवासी रावण को नहीं पूजेंगे तो पूरा गांव जलकर भस्म हो जाएगा। इसीलिए इस गांव में भी रावण का दहन करने की बजाय दशहरे पर रावण की पूजा होती है। यहाँ रावण की एक विशालकाय मूर्ति स्थापित है।
महाराष्ट्र-
अमरावती और गढ़चिरौली जिले में कोरकू और गोंड आदिवासी रावण और उसके पुत्र मेघनाद को अपना देवता मानते हैं। अपने एक खास पर्व फागुन के अवसर पर वे इसकी विशेष पूजा करते हैं।
आंध्रप्रदेश-
धार्मिक कथाओं के अनुसार रावण ने आंध्रप्रदेश के काकिनाड में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। शिवलिंग के निकट रावण की एक प्रतिमा भी स्थापित है। यहाँ शिव और रावण दोनों ही पूजनीय है मछुआरा समुदाय द्वारा इनकी पूजा की जाती है। श्रीलंका में कहा जाता है कि राजा वलगम्बा ने इला घाटी में रावण के नाम पर गुफा मंदिर का निर्माण करवाया था।
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Yes ofcourse Ravan was a great pandit still now there is no pandit like him in the world. He was also a great scientist.
I love this blog.
It is the greatness of the Sanatan Dharmik thought that we also try to see the good in everyone and everything. However we need to be careful what we say or socialize on this topic.
Sometimes out of emotional immaturity the good in evil is stressed so much that we forget the evil side completely and come to accept the evil as good.
Ravan may be a Pandit; but his character and conduct was opposed to his Vedic information. You could be well versed but it doesn’t mean anything if it does not result in good character. Isn’t that the need of the world – to have people with good character? In describing the symptoms of an educated person, Chanakya pandit says that one who sees all women except his own wife as mother is a truly educated person. So, in one sense Ravan was not “really” educated although he had all the degrees.
And we see in modern times all the mini Ravans – highly educated people but without good impeachable character.
The whole festival of Dassera is to celebrate the victory of Shri Rama over Ravan the personification of lust. Let’s us all remember the spirit of Dassera and try to remove the Ravan like tendencies from our hearts with the help of Lord Shri Rama.