मां बम्बलेश्वरी देवी मंदिर- डोगरगढ़
छतीसगढ़ के डोगरगढ़ रेलवे स्टेशन के पास स्थित पर्वत की 1600 फीट की ऊँचाई पर मां बम्बलेशवरी देवी मंदिर मुख्य रूप से मां बगलामुखी को सर्मपित है। यह मंदिर छतीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं उत्तरी महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। रेलयात्री रेलवे स्टेशन से ही मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। वर्ष में पड़ने वाले दोनों ही नवरात्रों का त्यौहार यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन भी यहाँ भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। मुख्य मंदिर से पूरे डोंगरगढ़ शहर का शानदार नज़ारा भी लिया जा सकता है।
हरी-भरी वादियों के बीच झील किनारे स्थापित यह मंदिर लगभग 2200 साल पुराना है। प्राचीनकाल में इस नगर का नाम कामावती था। स्थानीय लोगों के अनुसार कामावती नगर के तत्कालीन राजा वीरेनसेन ने अपने पुत्र मदनसेन के जन्म की खुशी में इस मंदिर निर्माण करवाया था। इस मंदिर के दर्शन के लिए आपको 1100 सीढियाँ चढ़नी होगी। सीढियाँ ना चढ़ पाने वाले श्रद्धलुओं के लिए यहाँ ‘रोप वे’ यानी केबल कार की स: शुल्क सुविधा उपलब्ध है।
मंदिर में स्थापित माँ की सिंदूरी मूर्ति बरबस ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। आये दिन यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। मुख्य मंदिर के अलावा पर्वत के नीचे छोटी बम्बलेशवरी देवी का मंदिर भी बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माण उन भक्तों के लिए किया गया जो वृ़द्ध होने के कारण पर्वत पर नहीं चढ़ सकते। वहीं यहाँ हनुमान जी के दो मंदिर स्थित हैं। जिनमें से एक नीचे छोटी बम्बलेशवरी देवी के मंदिर के समीप है तथा दूसरा ऊपर पर्वत पर मुख्य मंदिर के पास है। मुख्य मंदिर के मार्ग में नवनिर्मित शिवजी के मंदिर की दीवारों पर बनी सर्पो की विभिन्न मुद्राओं की आकृति काफी आकर्षक है। यहाँआने वाले श्रद्धालु मुख्य मंदिर जाने से पूर्व शिव मंदिर के दर्शन अवश्य करते हैं।
डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन रायपुर रेलवे स्टेशन, बिलासपुर रेलवे स्टेशन के मार्ग से जुडे़ होने के कारण पूरे देश के रेलवे नेटवर्क से आसानी से जुड़ा हुआ है।
वैष्णो देवी टैम्पल- राउलकेला
उड़ीसा की स्टील सिटी राउलकेला के रेलवे स्टेशन से स्पष्ट नजर आता ये मंदिर जम्मू-कटरा में स्थित माता के वैष्णो देवी मंदिर का प्रतिरूप है। दुर्गापुर नामक पर्वत पर स्थित माँ वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण साल 2003 में हुआ था। वैसे तो यहाँ आये दिन भक्तों की भरी भीड़ देखने को मिलती है, किन्तु चैत्र एवं शरदीय नवरात्रे के दिनों में मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रधालुओं की संख्यां में काफी वृद्धि हो जाती है।
बात अगर मंदिर की विशेषताओं की करें तो यह मंदिर पूरी तरह से जम्मू स्थित वैष्णो देवी मंदिर का प्रतिरूप है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर आपको बाबा भैरोनाथ का ठीक वैसा ही मंदिर मिलेगा जैसा वैष्णो देवी में स्थापित है। पर्वत पर स्थित होने के साथ ही गुफा के बीच से गुज़र कर जाने के रोमांचकारी अहसास के कारण यह मंदिर हमेशा ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर खासा आकर्षित करता है।
मंदिर कमेटी द्वारा प्रदान सुविधाओं में पीने का पानी, शौचालय सुविधा, रात में रोशनी की सुविधा से यहाँ आप बिना किसी परेशानी के कभी आ सकते है। साथ ही यहाँ से आप पूरे राउलकेला शहर के खूबसूरत नज़रों का मज़ा लें सकते हैं। रेलयात्री राउलकेला रेलवे स्टेशन से ही मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
मां कामख्या मंदिर- कामख्या
अगर आप पूर्वउत्तर के राज्य असम की यात्रा रेलगाड़ी द्वारा करें तो अपनी इस यात्रा के दौरान आप रेलगाडी़ के अंदर से ही कामख्या रेलवे स्टेशन से मां कामख्या के भव्य एवं प्राचीन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर गुवाहाटी शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित नीलांचल पहाड़ी जिसे कामगीरी पर्वत भी कहा जाता है पर स्थित है। नवरात्रि के त्यौहार में यहाँ सबसे ज्यादा भीड़ होती है। उसके अलावा यहाँ मनसा पूजा, अंबूबाची मेला भी बड़े घूमधाम से मनाया जाता है।
नीलांचल पवर्त पर स्थित ये प्राचीन मंदिर हिन्दु धर्म के 51 शक्तिपीठ में से एक है। मान्यता है कि यहाँ दसों महाविदया एक साथ रहती है। मूलत: यह मंदिर शक्ति की देवी मां कामख्या को सर्मपित है। इसके अलावा पर्वत पर मां तारा, मां भैरवी, मां भुवनेशवरी एवं मां घटकारणी के मदिंर भी स्थित हैं। किन्तु उनके दर्शनों के लिए आपको पर्वत पर जाना होगा। रेलवे स्टेशन से सिर्फ मां कामख्या के मुख्य मंदिर की झलक ही पाई जा सकती है।
प्राचीन काल से ही यह मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध स्थान जिस कारण आज भी इस मंदिर का तंत्र साधना करने वालों के लिए भी विशेष महत्व है।
और पढ़ें पारसनाथ की पर्वत श्रृंख्ला ग्रुप में ट्रैवल के फायदें
Fantastic approch by indian railway.
Bahut accha lagta hai jab safar ke time Dongharghad mein railwey station mein Mata jee key mandir ka darshan ho jata hai
Good work and approach by Indian railway.
Its realy a great work
OMSAIJIVAISHNODEVINAATAJI Ki sadaa hi jaijaikaar ho
Hm bhi jarur jarur aayenge darsn karne kbhi Mata ji ke