स्वतंत्रता पूर्व देश की 562 आज़ाद रियासतें आज़ादी के बाद विभिन्न कारणों से देश के विभिन्न राज्यों का हिस्सा बनती चली। आज देश में कुल 29 राज्य बन चुके है। वहीँ बात अगर इन राज्यों के नामकरण की कि जाए तो कम ही लोग जानते होंगे इन राज्यों के नामकरण के पीछे की कहानी। जैसे कि किस कारण हिमाचल प्रदेश का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया। और क्या सभी राज्यों के नामकरण के पीछे कोई एक ही मूल कारण था या फिर सबकी थी अपनी-अपनी विशेषताएँ अपनी-अपनी कहानी-
पूर्वी भारत:
ओड़िशा- ओड़िशा राज्य का नाम ओड्रा समुदाय के नाम पर रखा गया है, वे मध्यभारत के निवासी थे।
बिहार- बिहार नाम पालि भाषा से लिया गया जो पूर्व में विहार कहलाता था। बौध धर्म में विहार का अर्थ बौद्धमठ होता है। गौरतलब है कि बिहार की धरती पर ही गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
झारखण्ड- झारखण्ड में झाड़ का अर्थ जंगल, पेड़-पौधे एवं खंड का अर्थ धरती का टुकड़ा होता है। घटते जंगलों के बीच इस राज्य के काफी हिस्से जंगल है इसलिए इस राज्य का नाम झारखण्ड है।
पश्चिम बंगाल- इस राज्य का नाम यहाँ सालों पहले रहने वाली बंग जनजाति के आधार पर रखा गया है। बाद में बंग, वंग कहलाया एवं ब्रिटिश शासन के समय इसका नाम बंगाल कर दिया गया।
मध्य भारत:
मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश सेंट्रल प्रोविंस का हिंदी अनुवाद है, ब्रिटिशकाल में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा इस क्षेत्र को सेंट्रल प्रोविंस कहा जाता था।
छतीसगढ़- इस राज्य का नाम यहाँ स्थित 36 किलों के नाम पर पड़ा है। भूतकाल में इस स्थान का नाम ‘दक्षिण कौशल’ था जिसका उल्लेख महाभारत में भी है।
पश्चिम भारत:
गुजरात- इस राज्य का नाम 8वी शताब्दी में यहाँ शासन करने वाले गुर्जर समुदाय के नाम पर पड़ा है।
महाराष्ट्र- महाराष्ट्र का नाम महा एवं राष्ट्र से मिल कर बना है ये शब्द राष्ट्रिका नामक कबिले से लिया गया है। इसका उल्लेख अशोक के शिलालेखों में भी मिलता है।
गोवा- महाभारत में गोवा को गोपराष्ट्र अर्थात गाय चराने वालों का देश बताया गया है। वहीँ संस्कृत के कई अन्य स्त्रोतों में गोवा गोपकपुरी, गोपकपट्टन नाम से उल्लेखित है। इसके प्रमाण स्कन्द पुराण एवं हरिवंश पुराण में भी मिलते है।
पूर्वोत्तर:
मणिपुर– उत्तरपूर्व के इस राज्य का नाम मणिरूपी चमकीले पत्थरों के नाम पर है। कहा जाता है कि एक समय में यहाँ भारी मात्र में बहुमूल्य चमकीले पत्थर पाए जाते थे।
मेघालय- मेघालय पूर्वोतर का एक खुबसूरत राज्य है जहां अन्य राज्यों की तुलना में अधिक वर्षा होती है। इसलिए इसे मेघ का घर कहा गया है।
त्रिपुरा- इस राज्य का नाम यहाँ का राजा रहे त्रिपुर के नाम पर है। वहीँ कई लोगों का मानना है कि त्रिपुरा कोकबोरोक भाषा के दो शब्द ताई एवं पारा से लिया गया है जिसमें ताई का अर्थ पानी एवं पारा का अर्थ पास होता है।
अरुणाचल प्रदेश- इस राज्य का नाम (अरुण+अचल) दो शब्दों की संधि से बना है। यहाँ अरुण का अर्थ सूर्य एवं अचल का अर्थ पर्वत है यानि उगते सूर्य का पर्वत।
सिक्किम- सिक्किम शब्द तिब्बत्ती भाषा के शब्द डेन्जोंग से उत्पन्न हुआ है, यह शब्द लिम्बू मूल के दो शब्द ‘सू’ एवं खिय्म शब्दों से बना है जिसमें सू का अर्थ है ‘नया’ एवं खिय्म का ‘महल’ होता है यानि नया महल।
असम- असम राज्य का नाम अहोम शब्द से लिया गया है 600 वर्ष पूर्व अहोम राजवंश इस क्षेत्र के शासक थे।
मिजोरम- यहाँ मि का अर्थ लोग एवं जो का पहाड़ी होता है।
नागालैंड- नागालैंड मूल रूप से नागा जनजाति का घर है जिसे पहले नागा हिल्स त्वेनसांग के नाम से जाना जाता था।
उत्तर भारत:
उत्तराखंड- पूर्व में उतरांचल का नाम इसके उत्तर दिशा में स्थित होने के कारण पड़ा गौरतलब है कि ये राज्य उत्तर प्रदेश से अलग होकर बना है।
दिल्ली- सात बार उजड़ कर सात बार बसी दिल्ली के बारे में कहा जाता है कि ईसा पूर्व 50 में इस क्षेत्र में मोर्य राजाओं का शासन था। उसी राजवंश के राजा धिल्लू जिन्हें दिलू भी कहा जाता उनके नाम पर पड़ा है।
उत्तरप्रदेश- देश के मानचित्र पर भौगोलिक रूप से उत्तर में स्थित होने के कारण इस राज्य का नाम उत्तर प्रदेश पड़ा है।
पंजाब- फारसी के दो शब्द (पंज+आब) को जोड़कर इस प्रदेश का नाम रखा गया है। यहाँ पंज का अर्थ पांच एवं आब का नदी होता है गौरतलब है की कृषि प्रधान इस राज्य में पांच मुख्य नदिया है। जिनके नाम झेलम, सतलुज, रावी व्यास एवं चिनाब है।
हिमाचल प्रदेश- यहाँ हिम का मतलब बर्फ एवं अचल का पर्वत है यानि बर्फीले पहाड़ों का घर। हिमालय से करीब होने के कारण यहाँ के ज़्यादातर पहाड़ बर्फीले है।
जम्मू एवं कश्मीर- इसमें कश्मीर का नाम ‘क’ एवं ‘शिमीर’ दो शब्दों की युक्ति से हुआ है जिसमें ‘क’ शब्द का अर्थ जल एवं ‘शिमीर’ का सूखना होता है। वहीँ जम्मू का नाम वहां के शासक रहे राजा जंबू लोचन के नाम पर रखा गया है।
राजस्थान- इस राज्य का नाम वर्षों तक यहाँ राज करने वाले राजपूत समुदाय के नाम पर पड़ा है।
हरियाणा– हरियाणा राज्य का नाम हरी एवं अयण दो शब्दों के मेल से बना है हरी यानि विष्णु एवं अयण का अर्थ निवास स्थान होता है। विदित है कि महाभारत का युद्ध वर्तमान के हरियाणा राज्य में ही हुआ था।
दक्षिण भारत:
आंध्रप्रदेश- आंध्र का अर्थ होता है दक्षिण और प्रदेश का स्थान ऐसे में इस राज्य का नाम दक्षिण प्रदेश का नाम क्षेत्रिय शब्द आंध्र के ऊपर रखा गया है।
केरल– केरल के नाम की उत्पत्ति मलयाली भाषा के ‘केरा’ शब्द से हुई जिसका अर्थ नारियल होता है। गौरतलब है कि केरल देश का सर्वाधिक नारियल उत्पन्न करने वाला राज्य है।
तेलंगाना- देश का सबसे नवीन राज्य तेलंगाना के नाम की उत्पत्ति ‘त्रिलिंगा’ शब्द से हुई है, यहाँ त्रिलिंगा का अर्थ तीन शिव लिंगो की भूमि है।
कर्णाटक- इसके नाम के पीछे वैसे तो कई मान्यताएं है किन्तु सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार कन्नड़ भाषा के दो शब्द करू एवं नाडू के मेल से इसका नाम पड़ा है। इसमें करू का अर्थ ऊँचा या कला एवं नाडू का अर्थ स्थान होता है।
तमिलनाडु- इस राज्य का नाम तमिल भाषा के शब्द तमिल तथा नाडू यानि निवास स्थान के ऊपर रखा गया है यानि ऐसी जगह जहां तमिल समुदाय के लोग रहते है। वहीँ कई लोगों की कहना है कि तमिल का अर्थ फूलों का मीठा रस एवं नाडु का स्थान होता है यहाँ बहुत बड़े पैमाने पर इस मीठे रस की उपलब्धता के कारण इस राज्य का नाम तमिलनाडु रखा गया था।
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काफी अच्छी और रोचक जानकारी दी अपने।।धन्यवाद
जानकारी के लिए आप और सहयोगी बधाई के पात्र है
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Bahut achchi Jankari Mila thankyou
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रेलयात्री की ये जानकारियां बहुत ही ज्ञानवर्धक और अद्भुत भी हैं, आप का प्रयास सराहनीय है। धन्यवाद रेलयात्री।