आप ने भारतीय रेल से देश के कर्इ छोटे-बडे़ शहरों कस्बों का सफर तय किया होगा। मगर बात जब देश से बाहर विदेश जाने की हो तो हमारे मन में बादलों के बीच उड़ते हवार्इ जहाज़ और चमचमाते हवार्इ अडडे की विशाल इमारत का दृश्य उभर आता है। जबकि हिंदुस्तान से सटे ऐसे कर्इ देश है जहाँ का सफर भारतीय रेलवे से भी किया जा सकता है। रेलयात्री डाटइन पर पढि़ए ऐसे ही रेलवे स्टेशन रेल और अंतरराष्ट्रीय रेलमार्गो के बारे में जिन्हें इंटरनेशनल रेलवे स्टेशन रेल रेलमार्ग का दर्जा हासिल है। जिससे सफर कर रेलयात्री सरहद के पार अपनी मंजिल तक ठीक वैसे ही पहुँच जाते है जैसे की किसी इंटरनेशनल एयर फ्लार्इट से
- गाड़ी न0 14890 – राजस्थान के जोधपुर को पाकिस्तान के कराँची शहर से जोड़ने वाली थार लिंक एक्सप्रेस भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली सबसे पुरानी रेल सेवा है। जिसकी शुरूआत भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले हुर्इ थी। तब इसे सिंध-मेल के नाम से चलाया जाता था राजस्थान के शहर जोधपुर के नजदीक भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से चलने वाली इस रेलगाड़ी की मंजिल होती है पाकिस्तान का कराँची शहर। सप्ताह में एक दिन शनिवार को भगत की कोठी से शाम 7 बजे चल कर यह रेल रात 11:50 मिनट में पाकिस्तन के कराँची शहर पहुँच जाती है। कुल 4 घंटे 50 मिनट का ये सफर लगभग 325 किलोमीटर लम्बा है। वही सफर के दौरान कस्टम संबंधित जांच भारत में बाड़मेर और पाकिस्तान की ओर मीरपुर खास रेलवे स्टेशन पर की जाती है। इस दौरान रेलगाड़ी 28-30 नान स्टाप छोटे रेलवे स्टेशन (हाल्ट) से होकर गुजरती है। सन 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए यु़द्ध में इसकी पटरियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण इस रेल मार्ग को बंद कर दिया गया था। फिर 41 साल बाद 18 फरवरी 2006 को इस रेल सेवा को पुन: बहाल कर दिया गया।
- गाड़ी न0 14001 – बालीवुड की फिल्मों और अक्सर विवादों में रहने के कारण समझौता एक्सप्रेस से भला कौन नहीं परिचित होगा\ सन 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद जब थार-एक्सप्रेस का सफर बंद हो गया था। तब 22 जुलार्इ 1976 को भारत-पाकिस्तान के बीच नर्इ कड़ी के रूप में समझौता-एक्सप्रेस की शुरूआत की गर्इ थी। शुरूआत में इसे रोज़ाना चलाया जाता था। लेकिन बर्ष 1994 में इसके सफर का समय बदल कर सप्ताह में 2 दिन मंगलवार और शुक्रवार कर दिया गया। नर्इ दिल्ली रेलवे स्टेशन से पंजाब के अटारी रेलवे स्टेशन पहुँचने पर कस्टम संबंधी जांच के बाद इसका असल सफर शुरू होता है। जिसके बाद ये रेलगाड़ी पाकिस्तान के बाघा रेलवे स्टेशन पहुँचती है जहाँ इसमें सफर कर रहे मुसाफिरों की दोबारा से कस्टम संबंधी जांच की जाती है जिसके बाद ये अपनी मंजिल लाहौर के लिए निकल पड़ती है। दिल्ली से भले इसका सफर 471 किलोमीटर और 8 घंटे से ज्यादा का मालूम होता है। मगर अटारी रेलवे स्टेशन से बस कुछ मिनट और चंद रूपये में आप भारतीय रेल से पड़ोसी देश पाकिस्तान पहुँच सकते है।
- गाड़ी न0 13109 – सन 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हमारे एक नए पड़ोसी देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। पहले जहाँ भारतीयों को बांग्लादेश जाने के लिए हवार्इ जहाज़ का सफर तय करना पड़ता था। वही 14 अप्रैल 2008 बंगाली नव वर्ष (पौइला बैसाख) के शुभ मौके पर कोलकाता रेलवे स्टेशन से कर्इ गणमान्य व्यकितयों द्वारा हरी झंडी दिखा कर कोलकाता से ढाका (बंग्लादेश) के लिए मैत्री एक्सप्रेस को रवाना किया गया। इसका सफर लगातार बिना किसी रोक-टोक के जारी है। सप्ताह में एक दिन चलने वाली इस रेलगाड़ी से आप सिर्फ मंगलवार को बांग्लादेश जा सकते है। कोलकाता से ढाका का ये सफर लगभग 393 किलोमीटर लम्बा है जिसे पूरा करने में लगभग 11 घंटे खर्च होते है। वही इस सफर में कुल 45 नान स्टाप रेलवे स्टेशन (हाल्ट) आते है। जिसमें से ज्यादातर भारत की तरफ ही है। भारतीय रेल से बांग्लादेश का ये सफर आप मात्र कुछ सौ रूपयों के खर्च में कर सकते है। बर्शेते आप के कस्टम संबंधी सारे कागज़ात तैयार हो। भारत की तरफ पड़ने वाले आखिरी रेलवे स्टेशन गेदे मे कस्टम संबंधी जांच की जाती है वही बांग्लादेश की सीमा में दाखिल होते ही वहाँ के पहले रेलवे स्टेशन दर्शना में कस्टम संबंधी जांच का नियम है।
- गाड़ी न0 16102 – तामिलनाडू के धनुषकोड़ी रेलवे स्टेशन को श्रीलंका के तलार्इमन्नार रेलवे स्टेशन से जोड़ने वाली यह एकमात्र रेलगाड़ी थी। जिसका सफर 22&23 दिसम्बर 1964 को आए एक ज़ोरदार तूफान के बाद थम गया। उस समय ये रेलगाड़ी दक्षिण भारत के चैन्नर्इ शहर को श्रीलंका के कोलंबो शहर से जोड़ती थी तब इसे भारत-सीलोन एक्सप्रेस (श्रीलंका) के नाम से जाना जाता था। आज इसे भारत के भीतर बोट मेल एक्सप्रेस के नाम से चलाया जाता है। उस समय चैन्नर्इ से कोलंबो का कुल सफर लगभग 22 घंटे का होता था। सन 1964 में आए एक भयंकर तूफान के बाद दोनो देशों को जोड़ने वाली मन्नार रेल मार्ग की पटरीया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गर्इ थी जिसे दोबारा से नही बनाया गया। जिस कारण फिलहाल ये रेलमार्ग बंद है। हालाँकि वर्तमान भारत सरकार द्वारा श्रीलंका सरकार के साथ मिलकर भारत-श्रीलंका के बीच दोबारा से रेल सेवा शुरू करने की दिशा में कर्इ योजनाओं पर काम जारी है।
- हालाँकि भारतीय रेलवे ने ऐसी कोर्इ भी रेलगाड़ी नही चलार्इ जो भारत से नेपाल जाती हो। फिर भी भारत-नेपाल के बीच नेपाल सरकार की द नेपाल रेलवे कम्पनी लिमिटेड द्वारा 2014 तक एक रेलगाड़ी चलार्इ जाती थी। जो भारत में बिहार (मधुबनी) के जयनगर रेलवे स्टेशन को नेपाल के जनकपुर रेलवे स्टेशन से जोड़ती थी। इसे नेपाल सरकार द्वारा साल 2014 में बंद कर दिया गया। फिलहाल भारत से नेपाल के लिए कोर्इ भी रेल सेवा उपलब्ध नहीं है जबकि बर्ष 2014 तक जयनगर रेलवे स्टेशन को अंतराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन का दर्जा हासिल था ऐसा कहना गलत ना होगा। फिलहाल भारत और नेपाल सरकार द्वारा नेपाल के लिए कर्इ नर्इ रेल लार्इन का काम जारी है। जिसके द्वारा भविष्य में इन दोनो देशों के बीच रेलयात्रा दोबारा से शुरू हो जाएगी।