वैसे तो भारतीय संविधान के अनुसार सभी भारतीय नागरिक देश के किसी भी राज्य में निवास करने, रोज़गार करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। मगर वहीँ भारत में कुछ राज्य ऐसी भी है जहां आप बिना वहां की राज्य सरकार की अनुमति के प्रवेश भी नहीं सकते। यानि की आपको भारत के ही कुछ स्थानों पर जाने के लिए अनुमति लेनी होगी। इस अनुमति को लेने के लिए आपको एक प्रकार का वीसा ‘इनर लाइन परमिट’ लेना होगा। ठीक वैसे ही जैसे कि बतौर विदेशी नागरिक हम किसी और देश में जाने के लिए लेते है। आईये जाने उन राज्यों के बारे में और समझे कि क्यों भारत में ही भारतियों पर लागू है ऐसा अनोखा नियम।
क्या होता है इनर लाइन परमिट-
इनर लाइन परमिट ईस्टर्न फ्रंटियर विनियम 1873 के अंतर्गत जारी किया जाने वाला एक ट्रैवल डॉक्यूमेंट है। भारत में भारतीय नागरिकों के लिए बने इनर लाइन परमिट के इस नियम को ब्रिटिश सरकार ने बनाया था। बाद में देश की स्वतंत्रा के बाद समय-समय पर फेरबदल कर इसे जारी रखा गया। ये मुख्यता दो तरह का होता है।
पहला- पर्यटन की दृष्टि से बनाया जाने वाला एक अल्पकालिक आईएलपी
दूसरा- नौकरी, रोज़गार के लिए अन्य राज्यों के नागरिकों के लिए बनाया जाने वाला आईएलपी।
कहां लागू है ये नियम-
फिलहाल ये नियम देश के उत्तरपूर्व में बसे तीन खूबसूरत राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश एवं नागालैंड में लागू है। इसके अलावा इसकी ज़रूरत सीमावर्ती राज्यों के उन स्थानों पर भी लागू होता है जहां की सीमा अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से लगती है। जैसे कि लेह-लद्दाख आदि में।
क्यों बनाया गया ऐसा नियम-
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटिश सरकार ने ये नियम अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए बनाया था। वहीँ कई इसे सीमावर्ती राज्यों की जनजाति एवं संस्कृति आदि की रक्षा के लिए बनाया गया नियम बताते है। देखा जाए तो सीमावर्ती राज्यों एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्र बेहद संवेदनशील होते है। जिस कारण वहां किसी नागरिक की पहचान के लिए इसे एक सही तरीका माना जा सकता है।
कैसे एवं कहां बनता है आईएलपी-
प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा के लिए ये दस्तावेज़ बनवाने के लिए आपको अपने 10-20 पासपोर्ट साइज़ फोटो के साथ ही कोई एक सरकारी पहचानपत्र की फोटोकॉपी की ज़रूरत होती है। फोटो सफ़ेद बैकग्राउंड वाली ही लें। बाकी अच्छा हो कि आप अपने साथ पेन और फार्म पर फोटो चिपकाने के लिए गम का छोटा डिब्बा रख ले। अक्सर ये चीजें अनचाही परेशानी बन जाती है ध्यान दें की सरकारी पहचान पत्र में आपका पेन कार्ड मानी नहीं है। वहीँ 10 या उससे ज्यादा फोटो ले जाने से आपको एक राज्य से दुसरे या एक डिस्ट्रिक्ट से दूसरे के लिए नया आईएलपी बनाने के लिए सहायक होगा, क्योंकि कई जगह नए आईएलपी की ज़रूरत आन पड़ती है।
कहां से प्राप्त करें अपना आईएलपी-
आप इसे इन राज्यों के बॉर्डर पर बनवा सकते है। वहां मौजूद राज्य सरकार के अधिकारी इस काम में आपकी सहायता करेंगे।
दिल्ली, कोलकत्ता एवं गुवाहाटी में इनके ऑफिस मौजूद है। आप बिना किसी परेशानी के इन्टरनेट की सहायता से मिजोरम हाउस, नागालैंड हाउस एवं अरुणाचल प्रदेश हाउस टाइप का एड्रेस प्राप्त कर सकते है।
घूमने-फिरने की समय-सीमा एवं शुल्क-
आप इन तीनों राज्यों में से किसी में भी 15 दिन रह एवं घूम सकते है। इसके अलावा आप इसे अगले 15 दिनों के लिए रिन्यूवल करवा सकते है। इसकी प्रक्रिया एवं शुल्क पहले की तरह ही होंगे। वहीँ रोज़गार आदि वालों के लिए अलग नियम है। जहां तक बात शुल्क की है तो ये बहुत ही साधारण है एवं अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग है।
आईएलपी की ऑनलाइन प्रक्रिया-
डिजिटल मीडिया के आज के दौर में ऑनलाइन सुविधा का होना अनिवार्य समझा जा सकता है। मगर फिर ये सुविधा सभी राज्यों में फिलहाल सही से लागू नहीं हो पाई है। ऐसे में अच्छा होगा यदि आप समय रहते ऑफलाइन ही अप्लाई करें। नीचे हम उन दो राज्यों के ऑनलाइन अप्लाई करने वाले लिंक दें रहे है जहां ये प्रक्रिया सुचारू रूप से कार्य कर रही है।
विदेशी महमानों के लिए प्रक्रिया-
विदेशी मेहमानों के लिए आईएलपी की जगह प्रोटेक्टेड एरिया परमिट का नियम है।
और पढ़ें
I like this news
ज्ञानबर्द्धक एवं अतिउपयोगी। इसी तरह अच्छी-अच्छी स्थलों का लेख देते रहें।
नई ज्ञानवर्धक एवं मार्ग दर्शक जानकरी देते रहे धन्यवाद ज्ञापित
very nice app
Thanks… but kya agar up (agra) se leh ladakh ghumne jana ho to hame ILP banwana padega…or ye wahi banega kya…agra me ni banega..
नमस्कार श्रीमान, जी हाँ देश के किसी भी हिस्से से लेह लद्दाख कि यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट अनिवार्य है, इसे आप ऑनलाइन भी अप्लाई कर सकते है.धन्यबाद
Very useful & minimum required information.