इन बातों का रखे विशेष ख्याल:
गर्भवस्था का दौर किसी भी गर्भवती महिला एवं उसके परिवार के लिए बेहद महत्वपूर्ण समय होता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती स्त्री को मजबूरन रेलयात्रा करनी पड़ जाए तो उसके आगे कई प्रश्न आ खड़े होते है। मसलन उसे किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए। किस हद तक यात्रा करने का जोखिम उठाना चाहिए। इस बात को लेकर हमेशा दुविधा बनी रहती है। हालांकि डॉक्टर तो ऐसे परिस्थिति में किसी भी तरह की यात्रा न करने की राय ही देते है।
सर्वप्रथम हमारी कोशिश भी यही होनी चाहिए कि किसी भी गर्भवती स्त्री को यात्रा न करनी पड़े। मगर कई बार परिस्थितिवश गर्भवती महिला का रेलयात्रा करना अनिवार्य होता है। ऐसे में कौन सी ऐसी बातें है जिनका ध्यान रखकर गर्भवस्था के दौरान रेलयात्रा के जोखिम को कम किया जा सकता है। पढ़िए और जरूरत पड़ने पर जरूर पालन करें-
हवाई एवं सड़क यात्रा की तुलना क्या सुरक्षित है रेलयात्रा:
विशेषज्ञों की माने तो हवाई एवं सड़क यात्रा की तुलना में रेलयात्रा का विकल्प कम जोखिम भरा होता है। सड़क मार्ग पर पड़ने वाले खराब रास्ते, टेढ़े-मेढ़े मोड़ एवं ऊँचे-नीचे मार्ग का चयन जोखिम को निमंत्रण देना है। वहीं ज्यादातर एयरलाइंस कम्पनियां गर्भवती महिलाओं को एक विशेष समय के बाद यात्रा की अनुमति नहीं देती है। ऐसे में एक निश्चित गति से चलने वाली रेलगाड़ी को ही बेहतर विकल्प माना गया है। वहीं रेलयात्रा से पहले गर्भवती महिला को अपने डॉक्टर से अनिवार्य रूप से सलाह लेनी चाहिए।
किस श्रेणी में करे यात्रा:
यदि गर्भवस्था को 6 महीनें का समय बीत चुका हो तब ऐसी 2 टियर या 3 टियर में ही यात्रा करें। साथ ही लोअर बर्थ के ही टिकट लें। इससे एक तरफ जहां गर्भवती महिला को यात्रा के समय थोड़ी खुली जगह मिल जाएगी वहीं मिडिल एवं अप्पर बर्थ में चढ़ने-उतरने का जोखिम भी नहीं लेना पड़ेगा।
बरते कुछ विशेष सावधानियां:
कोशिश करें कि गर्भवती महिला कुछ समय पूर्व रेलवे स्टेशन पहुंच जाए, यानि घर से निकलते समय या स्टेशन परिसर में किसी भी प्रकार की हड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। स्टेशन में भी विशेषकर बड़े भीड़-भाड़ वाले रेलवे स्टेशंस में इस बात का ज्यादा ख्याल रखें। वहीं गर्भवती महिला को किसी भी प्रकार के बोझ उठाने से भी बचना चाहिए। इस दौरान ऐसा कोई भी शारीरिक कार्य न करे जिसके लिए महिला को झुकना पड़े या फिर किसी और प्रकार के शारीरिक बल का प्रयोग करना पड़े।
ऐसी रेलयात्रा में अहम होता है खान-पान:
यात्रा के दौरान स्टेशन की रेहड़ी-खोमचों एवं हाँकर आदि से किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ न खरीदें। कोशिश करे कि किसी अच्छे रेस्टोरेंट से खाना बुक करवाए। वो भी स्पेशल आर्डर ‘नॉन स्पाइसी‘ नॉन आइली‘ यानि हल्का एवं सुपाच्चय। सफर में ताजे फल एवं बंद पानी की बोतल का ही इस्तेमाल करें। रास्ते में कटे-फटे फल का सेवन भूलकर भी न करें।
गर्भवस्था में कभी न करे अकेले यात्रा:
कुछ गर्भवती महिलाओं को यह भ्रम होता है कि यात्रा ज्यादा लम्बी नहीं है या फिर उन्होंने बाकी बातों को अच्छे से समझ लिया है इसलिए वे अकेले भी यात्रा कर सकती है। ऐसी गलती कतई न करें। खासकर जब गर्भवस्था को 6 महीने चुके हो। ऐसी यात्रा में आपको एक ऐसे विश्वसनीय साथी की जरूरत होती है जो बिना कहे ही आपको समझ ले। किसी पुरूष सदस्य के साथ ही अगर परिवार की कोई महिला भी साथ हो तो ज्यादा बेहतर समझिए। इसलिए आप कोई भी रिस्क न ले ये आप और आने वाले शिशु दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
इसके अलावा इन बातों का भी रखे ख्याल:
गर्भवस्था के दौरान खाई जाने वाली सभी दवाईयां एवं मेडिकल फाइल साथ लेकर यात्रा करें।
यात्रा के पहले अपनी डॉक्टरी जांच अवश्य करा ले।
रेलगाड़ी में अपने बैठने के स्थान के आस-पास ज्यादा सामान न जमा करें, खुलकर बैठे।
खिड़की के पास बैठे एवं ताजी हवा का आनंद ले।
बीच-बीच में उठकर अपनी बोगी में अपने पारिवारिक सदस्य के साथ थोड़ा घूमें-फिरे।
ज्यादा लेटे नहीं, अच्छी किताबे पढ़े और अगर किसी भी प्रकार की परेशानी महसूस हो तो तुरंत अपने परिवारिक सदस्य के साथ सांझा करें।
शांत एवं सकारात्मक मन से यात्रा करें व अपनी पसंद का संगीत सुने।
अगर डॉक्टर की मनाही न हो तो कुछ पसंदीदा चोकलेट्स, स्नैक्स आदि का स्वाद भी बीच-बीच में लेते रहे।