ठेकुआ पुराण-
आप चाहे इसे ठेकुआ कहे या फिर खजुरिया या फिर ठिकरी भारत में बिहार विशेषकर ‘मिथिलाचल’ के साथ ही पड़ोसी राज्य झारखण्ड और पूर्वाचल उत्तर प्रदेश से लेकर नेपाल तक प्रसिद्ध ‘ठेकुआ’ एक ऐसा पकवान है जो मूलता: गेंहु के आटे एवं गुड की चाश्नी से बनाया जाता है। स्वाद में हल्का मीठा तथा स्वादिष्ट ये सूखा पकवान कई मायनों में ख़ास है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है, इसका ‘छठ महापर्व’ का मुख्य प्रसाद होना।
ठेकुआ के लिए ऐसा कहना गलत ना होगा कि इसके बिना ‘छठ’ का महापर्व पूर्ण ही नही हो सकता। जिस कारण यह पकवान सिर्फ एक साधारण पकवान नहीं रह जाता। ‘छठ’ में भगवान भास्कर को समर्पित अन्य सामग्री के साथ ‘ठेकुआ’ के प्रसाद का होना उतना ही ज़रूरी होती है जितना बांस से बने सूप और गन्ने का होना।
कहाँ से हुई इसकी शुरूआत:
ठेकुआ बनाने की शुरूआत कहां से हुई और किसने की इसके बारे में ठीक से पता कर पाना थोड़ा कठिन है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह बिहार के सालों पहले रहें ‘हथ्वा राजवंश’ की रसोई से निकला ये एक शाही पकवान है। जिसे प्राचीन काल में ‘हथ्वा राजवंश’ की रसोई में ही बनाया जाता था।
क्यों पड़ा ऐसा अजीबों गरीब नाम:
ठेकुआ खानें में जितना स्वादिष्ट है अपने नाम को लेकर भी ये उतना ही अनोखा है। जानकार लोग बताते हैं कि इसका नाम ठेकुआ इसलिए रखा गया क्योंकि इसे बनाने से पहले सही एवं सुंदर रूप दिया जाता है। ऐसा करने के लिए इसे पत्थर या लकड़ी के बने एक सांचे में रखकर हाथों से ठोका जाता है। जिस कारण इसका नाम ‘ठेकुआ’ पड़ गया।
क्यों है ये ‘छठ’ का मुख्य प्रसाद:
हम ये जरूर जानते है कि यह ‘छठ’ का मुख्य प्रसाद है। लेकिन ऐसा क्यों है? ये शायद हम नहीं जानते। यहाँ आपको ये बताना आवश्यक है कि ये ‘छठ’ का मुख्य प्रसाद इसलिए है क्योंकि भगवान सूर्य को चढ़ाए जाने वाली दान सामग्री में गेंहू और गुड़ दोनो का विशेष महत्व है। गेंहू और गुड़ को सामान्यता भी सूर्य के दान की वस्तुएं माना जाता है। इसलिए इससे बने खास पकवान ‘ठेकुआ’ को ‘छठ’ में प्रसाद स्वरूप भगवान भास्कर को अर्पित किया जाता है।
ठेकुआ से जुड़ी ये कुछ अनोखी जानकारी के बारें में बहुत ही कम लोगों को पता है। ऐसे में इस बार आप छठ में ठेकुआ खाते हुए रेलयात्री डॉटइन के ब्लॉग को पढ़कर इस पकवान के बारे में अपनी जानकारी भी बढ़ा लीजिये।