आमतौर पर जब कभी हमारा मन घूमने जाने का होता है तो हमलोग साथी खोजने लग जाते है। हमारे जीवन में परिवार के सदस्य, कॉलेज के दोस्त एवं साथी कर्मचारी कुछ ऐसे खास रिश्ते है जिनके साथ हम अपने जीवन में कई बार देश-विदेश की अनेकों खूबसूरत एवं यादगार जगह घूमने जाते है। लेकिन ऐसे लोगों के बारे में आप क्या कहेंगे जो अकेले घूमने निकल पड़ते हैं। बात अगर भारत की करें तो पहली बार में इस प्रकार के निर्णय को पागलपन ही माना जाएगा। जरा सोचिए कोई शख्स अकेले घूमने गोवा, कुल्लू, कश्मीर या फिर केरल जा रहा है। घूमना मतलब एन्जॉयमेंट अब भला अपनो के बिना अकेले कैसा एन्जॉयमेंट….? तो आइए जाने कैसे अकेले घूमने जाने का अनोखा अनुभव भी किसी एन्जॉयमेंट से कम नहीं है ।
मौका स्वयं के आत्मविश्वास को परखने का
अकेलेपन को अक्सर नकारात्मकता से जोड़ा जाता है। लेकिन हर विषय के सन्दर्भ में ऐसा सोचना गलत है। दुनिया में ऐसे कई लोग है जिन्होंने जीवन में अकेले अपने आत्मविश्वास की बदौलत बहुत कुछ हासिल किया है। ऐसे में अकेले हफ्ते, दस दिन के लिए घूमने जाना एक मौका हो सकता है खुद को जानने-समझने का, अपने आत्मविश्वास को परखने का ।
बोझ नहीं है अकेलापन
कुछ लोगों का मानना होता है कि जीवन में अकेलापन किसी बोझ से कम नहीं होता है। मगर जब बात अकेले घूमने जाने की हो तो ये बोझ कही से भी दुःखदायी नहीं होता। दरअसल यहां हम बात कर रहे है उस बोझ की जो हम साथ ले जाना चाहते है। क्योंकि यहां ये पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। मतलब ग्रुप ट्रिप की तरह वेबजह दुनियाभर के लगेज ढोने की कोई जरूरत नही। बस जरूरत के हिसाब से अपनी पैकिंग करें और सफर का मज़ा ले ।
बनिए बजट बहादुर
ग्रुप टूअर में दी जाने वाली खर्च की राशि से आप संतुष्ट होते हो या न होते हो। यहां आप खुद पर होने वाले खर्च से पूरी तरह संतुष्ट हो सकते है। आखिर यहां होने वाला पूरे का पूरा खर्च आप खुद पर ही तो करेंगे। ऐसे में खुद पर अपने बजट के हिसाब से कितना खर्च करना है ये निर्णय सिर्फ आपको लेना होगा न कि ग्रुप के दबाव में। यहाँ आप कम पैसों में एडजस्ट कर एन्जॉय करना चाहते है तो बनिए बजट बहादुर और बचा लिजिए ग्रुप के दबाव में होने वाला अनावश्यक खर्च ।
जोड़े नए रिश्ते
ज़ाहिर है कि जब आप अकेले घूमने जाएगे तो आपके साथ आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार नहीं होगा। सफर के इस अकेलेपन को दूर करने के लिए क्यों न कुछ नए मुसाफिरों से दोस्ती की जाए। जहां घूमने जाए क्यों न वहां कुछ नए दोस्त बनाए। क्या पता इस दौरान आपकों कोई खास दोस्त मिल जाए ।
जिंदगी को खुलकर जियें
इस तरह के ट्रिप एक अच्छा मौका हो सकते है खुलकर जीने का “मेरी मर्जी” वाले एटिट्यूड को जीने का। इस दौरान आप कुछ स्पेशल, अनोखा एडवेंचर ट्राई कर सकते है जो शायद आपने पहले कभी अपने दोस्तों या परिवार के साथ घूमने के दौरान न किया हो। मतलब कि थोड़ी मस्ती, थोड़ी शरारत के जरिये आप अपने टूअर को यादगार बना सकते है ।
खुद को दें थोड़ा वक्त
हम किसी भी उम्र के हो स्टूडेंट, शादीशुदा, नौकरीपेश या फिर व्यापारी। आज के मशीनरी जीवन में जिंदगी का पहिया बहुत तेजी से घूमता है। लोगों के पास खुद के लिए वक्त है ही नहीं। तो क्यों न कुछ वक्त स्वयं के लिए निकाले जिंदगी को एक अलग नज़रिये से देखें ।
ये तो हुई बातें अकेले घूमने-फिरने से जुड़ी हुई मगर उत्साह में कोई गलती न हो जाए। इसके लिए जरूरी है अकेले घूमने-फिरने से जुड़े कुछ खास टिप्स एवं गाइडलाइंस को जानने की ।
1) आप जिस भी स्थान में अकेले घूमने जाना चाहते है उसके बारें में पहले पूरी जानकारी जुटा ले। मसलन ठहरने के लिए होटल, देखने लायक जगह, स्थानीय लोगों का व्यवहार आदि ।
2) अकेले घूमने जाने का मतलब यहां किसी को सरप्राइज देना बिलकुल नहीं है। इसलिए अपने कुछ खास दोस्तों या फिर घर वालों को बताकर ही जाए। साथ ही, यात्रा के दौरान इस बात का ढिंढोरा भी न पीटे की आप अकेले घुमने जा रहे है ।
3) शुरुआत में घर से ज्यादा दूर या फिर ज्यादा दिनों के लिए अकेले घूमने का प्लान न बनाए। ऐसे में जहां आपको सुरक्षा संबंधी परेशानी हो सकती है, वहीं कुछ दिनों बाद बोरियत का अहसास होना भी स्वाभाविक है ।
4) अपनी पहचान पत्र संबंधी कागज़ात, जरूरी फोन न0 एवं अगर किसी ख़ास बीमारी से परेशानी है तो उससे जुड़ी दवाईयां एवं मेडिकल पेपर जरूर ले जाए ।
5) आखिर में अपने पूरे सफ़र के दौरान भरोसा सब पर करे, मगर किसी पर भी नहीं। यानि थोड़ी चतुराई भी ज़रूरी है ।
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