तस्वीरें– संजय
कहते है कि जिसमें प्रेम का भाव जुड़ जाए वो बहुमूल्य हो जाता है। प्रेम वो अनुभूति है जिसमें डूबकर अक्षरों से रची हर कविता, पत्थरों को तराश कर बनाई गई हर इमारत अमर हो जाती है, बोल पड़ती है। भारत में प्रेम की निशानियां आगरा से शुरु होकर आगरा में ही खत्म नहीं हो जाती अपितु प्रेम की ये कहानियां पत्थरों पर उतर इतिहास में दर्ज हो आगे बढती जाती हैं। पढ़िए मालवा की एक ऐसी ही अमर प्रेमगाथा के बारे में…
जानिए क्यों गुमनाम रहा ये खुबसूरत मंदिर
वैसे तो मध्यप्रदेश का नरसिंहगढ़ जिला इसकी कुदरती खुबसूरती के लिए मालवा का कश्मीर कहलाता है। यहां का चिड़ीखों अभ्यारण्य देश भर में प्रसिद्ध है। दूर-दूर से सैलानी सुकून की तलाश में यहां चले आते हैं। यहाँ आये ज़्यादातर सैलानियों की यात्रा इसकी कुदरती खूबसूरती देखकर ही पूरी हो जाती है। मुमकिन है कि इसी वजह से सांका श्याम मंदिर सैकड़ों सालों तक गुमनाम रहा।
एक रानी के प्रेम की निशानी…
अपने पति सांका के महाराजा “श्याम सिंह खिंची” की याद में रानी भाग्यवती का बनावाया गया स्मारक सांका श्याम मंदिर अमरप्रेम की एक ऐसी ही खुबसूरत निशानी है। इसे मालवा का ताज भी कहते हैं। यह 16वीं शताब्दी का भव्य मंदिर है यहॉ श्यामजी की एक संगमरमर की अत्यन्त सुंदर विशाल मूर्ति स्थापित है। लाल पत्थर से बने इस मंदिर के चारों ओर अत्यन्त कलात्मक एवं सुंदर मूर्तियॉं बनी हुई है। मंदिर की सीढ़ियों पर भी अत्यन्त कलात्मक जालियां एवं फूल-बेल आदि बने हुए है।
श्याम जी के मंदिर के सामने ही भगवान शिव का भी एक विशाल मंदिर है। ये मंदिर इस ढंग से बनवाया गया है कि श्यामजी को भगवान शंकर के दर्शन होते रहें। दोनों मंदिर अत्यन्त सुन्दर हैं एवं इतने प्राचीन होने के बावजूद इनकी कलात्मकता एवं कलाकृतियां पूर्णतः सुरक्षित है। श्यामजी का मंदिर संभवतः विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर होगा जिसकी नींव में अन्य मूर्तियों के साथ-साथ अज़ान देते एवं नमाज़ पढ़ती हुए आकृतियां भी दिखाई देती हैं। जो उस दौर में आम लोगों के बीच सर्वधर्म समभाव के प्रतीक के रुप में हमारे सामने हैं। वहीँ हर साल माघ मास में यहाँ लगने वाले मेले के दौरान यहाँ की रौनक देखते ही बनती है।
ऐसे बना सांका श्यामजी प्रेम का मंदिर
नरसिंहगढ राज्य के समीप एक छोटी सी रियासत सांका हुआ करती थी। 16 वीं शताब्दी में यहां श्याम सिंह खींची नामक राजा शासन किया करते थे। उन्होंने अपनी जागीर में सोलह खम्ब नामक एक खूबसूरत स्मारक बनवाया जिसकी खूबसूरती के चर्चे दिल्ली तक पहुंचे। बादशाह अकबर ने अपने एक सिपाहसालार हाजी अली को इसकी हकीकत जानने भेजा। हाजी अली को सोलह खम्ब की खूबसूरती रास नहीं आई उसने सोलह खम्ब तोड़ने का फरमान सुना दिया। यह बात राजा श्याम सिंह को पता चला तो वे उससे लोहा लेने पहुंच गए। दुर्भाग्यवश हाजी अली ने राजा श्याम सिंह को पराजित कर दिया और वे वीर गति को प्राप्त हो गए।
पति की मौत के बाद उनकी याद में रानी भाग्यवती ने अपने महल के सामने एक खूबसूरत मंदिरनुमा स्मारक बनवाया। स्मारक बनाने के लिए राजस्थान के कारीगरों को बुलाए गए। इस तरह से श्याम सिंह खींची की याद में सांका श्याम मंदिर का निर्माण हुआ। राजस्थान से आए कलाकारों ने पूरे मन से इस मंदिर का निर्माण किया। मंदिर पर चारों ओर खुबसूरत कलाकृतियां उकेरी हुई हैं। पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशी यूं दिखाई देती है, जैसे कि आपस में बातें कर रही हों। मंदिर की बनावट में मालवी एवं राजस्थानी कला का स्पष्ट प्रभाव भी देखने को मिलता है।
मिल चूका है पर्यटन स्थल का दर्जा
पिछले कुछ सालों में जब धीरे-धीरे इस मंदिर की ख्याति फैलने लगी तब राज्य सरकार ने मौसमों की मार से बर्बाद हो रहे इस स्मारक को पर्यटन स्थल में शामिल कर सहेजने के प्रयास शुरु किया। अच्छी बात ये है की अब इस पर्यटन स्थल की देख-रेख पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग एवं पर्यटन विभाग सामूहिक रूप से कर रहे हैं ।
कैसे पहुचें
यह मंदिर नरसिंहगढ़ से 20 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कोटरा नमक ग्राम पंचायत में स्थित है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन: भोपाल
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