क्या कभी आप के साथ भी ऐसा हुआ है कि जब आप घर से किसी लम्बे सफर के लिए निकलने लगे हो तब आपकी मां, पत्नी या बहन आदि ने आपको मीठी दही खिलाकर आपकी यात्रा के सफल होने के लिए कामना की हो, या फिर किसी अन्य प्रकार का कोई और टोटका आदि किया हो। ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित हो और आप अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहें। दरअसल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लोग अपनी सुरक्षित एवं सफल यात्रा के लिए कई प्रकार के अजीब-गरीब टोटके अपनाते है। भारत में जहां दही चीनी वाला टोटके से हर कोई वाकिफ है वहीँ देश के अलग-अलग प्रांत में ऐसे कई टोटके है जिनके बारे में शायद आपने कभी सुना भी न हो, पढि़ए ऐसे ही कुछ देसी टोटकों के बारे में-
उड़ीसा–
यहाँ के निवासी जब परिवार या किसी मित्र दल के साथ लम्बे सफर पर जाते है तब जाने वाला हर व्यक्ति अपने पास से एक या दो रूपये निकालकर एक रूमाल में जमा करते है। जाने से पहले इक्टठे हुए सभी रूपयों की पोटली बांधकर घर के पूजा स्थल में इस कामना के साथ रख दी जाती है कि जब तक ये पोटली यहाँ सुरक्षित रहेगी तब तक सारे यात्री भी अपनी यात्रा में सुरक्षित-सफल रहेंगे। वापस लौटने पर पोटली के सारे रूपयों को किसी धार्मिक स्थल या भिखारी को दान में दे दिया जाता है।
तमिलनाडु–
दक्षिण भारतीय के तमिलनाडु में जब लोग किसी सफर, लम्बी यात्रा पर जाते है तो अपनी जेब में नीम के कुछ पत्ते रखकर ले जाते है। उनका ऐसा मानना है कि ऐसा करने से उनकी यात्रा में कोर्इ बाधा नहीं आती और यात्रा मंगलमय होती है।
हरियाणा–
उत्तर भारतीय राज्य हरियाणा में यात्रा पर जाने वाले यात्री की गाड़ी में किसी रिश्तेदार द्वारा घर से लाया गया जल गाड़ी के पहिये पर डालकर यात्रा के मंगलमय होने की कामना की जाती है।
बंगाल–
यहाँ के निवासी जब किसी लम्बी यात्रा पर जाने लगते है तो घर की किसी बुर्जुग महिला द्वारा जाने वाले सदस्य का दही से फोटा, “तिलक” कर उसे यात्रा में सफल होने का आर्शीवाद दिया जाता है।
तेलंगाना–
आंध्रप्रदेश से कुछ ही वक़्त पहले अलग हुआ तेलंगाना राज्य के बारे में कहा जाता है कि यहाँ के निवासी अपनी यात्रा के पहले एक लाला कपड़े में एक सिक्का बांध लेते है और फिर उसे ताबीज जैसे बनाकर अपनी दाएं बाजू में पहन लेते है ये ताबीज वो यात्रा पर निकलने से पहले पहनते है एवं अपनी यात्रा की समाप्ति पर उस ताबीज को किसी उस रास्ते पर निकालकर रख देते है जहां तीन रास्ते मिल रहे हों।
बिहार–
बिहार में भी कुछ स्थानों पर लम्बी यात्रा पर जाते समय यात्री को घर की किसी वृद्ध महिला द्वारा दूर्वा घास एवं अक्षत ,चावल के कुछ दाने आर्शीवाद के रूप में दिए जाते है तथा उसकी मंगलमय यात्रा की कामना की जाती है।
उत्तराखंड–
उत्तराखंड के कुछ इलाकों में जब कोई किसी लम्बी यात्रा के लिए निकलने वाला होता है तब घर की कोई महिला विशेषकर माँ-दादी उसे कुछ हरे पत्ते विशेषकर फल या साग-सब्जी के पत्ते साथ ले जाने के लिए देती है। ऐसा माना जाता है कि उन पत्तों की सकारात्मक उर्जा यात्रा भर उनके लिए शुभ फल देने वाली सिद्ध होती है।
उत्तरप्रदेश–
उत्तरप्रदेश के कई इलाकों में जहां यात्रा से पहले जहां यात्रा करने वाले यात्री को अपने साथ ले जाने के लिए जहां अक्षत, तुलसी के पत्ते, रक्षासूत्र एवं अड़हुल का फूल आदि साथ लेकर जाने के लिए दिया जाता है ताकि उनकी यात्रा सफल अवं सुरक्षित हो। वहीँ यदि कोई परिवार छोटे बच्चों संग यात्रा करने वाला होता है तो वो अपने साथ लहसुन अवं माचिस की डिब्बी भी लेकर जाता है। ऐसा यात्रा में बच्चों को नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए किया जाता है। वहीँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग अपनी यात्रा से पहले गुड़ का सेवन अवश्य करते है। हालाँकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती एवं गुड़ बनाने के कारखानों से भी इसे जोड़कर देखा जाता है।
आंध्रप्रदेश-
आंध्रप्रदेश के निवासी अपनी यात्रा में अपने साथ एक साबूत निम्बु, एक कोयले का टुकड़ा एवं एक पूजा वाली कोडी लेकर यात्रा करते है। कहा जाता है कि ये चीजें उन्हें यात्रा में आने वाली बाधाओं एवं आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाती है।
आस्था, परंपरा एवं विश्वास की इन बातों पर इंटरनेट, फेसबुक एवं ट्विटर के आधुनिक युग में आज की पीढ़ी की कितनी आस्था है यह कह पाना तो मुश्किल है। लेकिन आज भी आपको ऐसे कर्इ लोग मिल जाएंगे जिनका इन बातों पर अटूट विश्वास है।
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