मुझे शिकायत है, क्या आपको भी ?

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रेलयात्रा के दौरान कई बार हमें ऐसे कड़वे अनुभवों का सामना करना पड़ता है जिन्हें आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। दरअसल ये सारी परेशानियां किसी और के चलते नहीं बल्कि हमारे सहयात्री या फिर हमारे अपने ही गलत व्यवहार से उत्पन्न हुई होती है। कई बार तो हमारा खुद का व्यवहार हमारे सहयात्रियों के प्रति इतना सख्त एवं बुरा होता है कि बाद में हमें शर्मिंदा होना पड़ता है। ऐसे में कौन सी ऐसी बाते हैं जिनके द्वारा ये सारी परेशानियां उत्पन्न होती है तथा जिनका हर रेलयात्री को ध्यान रखना चाहिए, आइये जाने-

सीट की लड़ाई-

don't occupy or sit on other seat

रेलयात्रा के दौरान बहुतेरे ऐसे रेलयात्री होते है जिनके पास रिज़र्व बर्थ नहीं होती फिर भी वो जबरदस्ती रिज़र्व सीट पर कब्जा करने की कोशिश करते है। इसके लिए वो कई झूठ बोलते है मसलन  बीमार होने का भी बहाना बनाना, थोड़ी दूर ही तो जाना है वगैराह–वगैराह। ऐसा करने से बचिए, एक तो ये कानूनन अपराध है दूसरा बुरी आदत भी जो सामाजिक रूप से आपकी छवि को दूषित करती है।

साफ-सफाई की चिकचिक-

keep you train's bathroom neat & clean

बाथरूम वैसे ही एक संक्रमित एवं गंदी जगह होती है रेलगाड़ी के बाथरूम का हाल तो और भी दयनीय होता है। ऐसे में भी कई मुसाफिर इस बात की परवाह नहीं करते की हमें किस तरह से इसका इस्तेमाल करना चाहिए। कई लोग जहां बाथरूम के अंदर गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते तो वहीं कई इस्तेमाल के बाद कभी इसका दरवाजा बंद करने की ज़हमत नहीं उठाते। जिसका खामियाज़ा नजदीक की सीट पर बैठे यात्रियों को उठाना पड़ता है। कृप्या ऐसी लापरवाही मत कीजिए, ये एक बुरी आदत है।

ग्रुप का शोर

group travellers should not disturb their co passengers

अक्सर कुछ रेलयात्री शादी, धार्मिक यात्रा एवं कॉलेज टूअर के लिए बड़ी संख्या में ग्रुप ट्रेवल करते है। ऐसे में उनका प्लान तो अपनी यात्रा को पूरी तरह से एन्जॉय करने का होता है मगर ये बाकि सहयात्रियों के लिए सिर दर्द बन जाता है। ऐसे में जब अगली बार आप ग्रुप ट्रेवल करे तो इस बात का ख्याल रखे कि आप के चलते किसी सहयात्री को कोई परेशानी न हो-

वैसे नहीं ऐसे बैठे, सोए-

never sit in a wrong posture

रेलयात्रा के दौरान मुसाफिरों में एक जो सबसे कॉमन एवं खराब आदत देखने को मिलती है वो है सीट में सही से न बैठना। अक्सर ऐसा देखने,अनुभव करने को मिलता है कि कुछ लोग सीट पर इस तरह लद कर बैठ जाते है जैसे वो सिर्फ उनके लिए ही हो। किसी और के काधें पर भार देकर सो जाना, जोर-जोर से बात करना, अखबार पत्रिकाए पढ़ने में इतना मशगूल हो जाना कि अगल-बगल वाले सहयात्री ठीक से न बैठना, आधी रात तक डिब्बे की बत्ती जला के रखना, जोर-जोर से गाने बजाना एवं हमेशा डिब्बे के मुख दरवाजें को घेर कर खड़े रहना आदि। कुछ ऐसी हरकतें है जो आपके किसी सहयात्री को  असहज बनाकर आपसी लड़ाई बहस का कारण बन सकती है। इसलिए ऐसी आदतों से बचें। एक अच्छे यात्री बने।

ये आपका घर नहीं है, मगर है-

use like your home

क्या हम कभी आप अपने घर की चीजों के साथ फालतू की छेड़छाड़ करते है या फिर उसे अपने स्वार्थ, मजे के लिए खराब या चोरी करते है नहीं न? तब फिर क्यों हम रेलगाड़ी के अन्दर लगे पंखे, बत्तियों एवं बाथरूम के उपकरणों की इज्जत नहीं करते। याद कीजिए पिछले दिनों तेजस एक्सप्रेस के सफर के पहले ही दिन मुसाफिरों ने उसमें लगे कई हैडफोन्स चुरा लिए। सिर्फ मस्ती-मजाक के नाम पर कई एलइडी स्क्रीन को भी नुकसान पहुंचा दिया। सोचिए जब हमारे देश की ऐसी खबरें विदेशों के मीडिया में प्रसारित होती होगी तब उसका कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ता होगा हमारी छवि पर।

वे आपके रिश्तेदार नहीं है, मगर हैं-

give respect and care your co travellers

रेलयात्रा के दौरान कई बार हमें ऐसे सहयात्री मिल जाते है जो हमारा दिल जीत लेते है। वहीं कई बार हमारा पाला ऐसे अड़ियल लोगों से पड़ जाता है, मानों की पूरी रेलगाड़ी उन्होंने बुक करवा रखी हो और हमें उनके अनुसार ही अपना सफर समाप्त करना होगा। कई बार तो हमारा ही व्यवहार काफी अड़ियल होता है शायद पूरी रेलगाड़ी को ही अपनी मान बैठते है। याद रखिये आपने वहां घर नहीं बनाना मगर दोस्त बना सकते है। दोस्ताना माहौल बनाने की कोशिश करे क्या पता कब कौन सा सहयात्री आपके काम आ जाए।  दरअसल कई बार हम हमारे घर की महिलाएं, बच्चे एवं बुजुर्गों को अकेले सफर करना पड़ता है ऐसे में साथ यात्रा कर रहे सहयात्री ही उनके रिश्तेदार होते है जो किसी भी संकट के समय हमारे काम आ सकते है ठीक वैसे ही जैसे हमारा कोई अपना खास रिश्तेदार आता है तो फिर क्यों न अपने सफर को दोस्ताना एवं खुशनुमा बनाया जाए।

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