जानिए प्रेतशिला पर्वत की महत्ता

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By Akshoy Kumar Singh

     तस्वीरें — नीरज कुमार 

प्रेतशिला पर्वत गया नगर से 8 किलोमीटर दूर स्थित एक विशेष पर्वत है । यह गया नगरी के पुराने ऐतिहासिक पर्वतों में एक है । वैसे तो गया के आस-पास दर्जनों पर्वत है एवं पूरे गया नगर में कुल सात पर्वत विराजमान है । प्रेतशिला पर्वत इन्हीं में सबसे ऊंचा और प्राचीन पर्वत है । शहर से छह मील उत्तर पश्चिम में अवस्थित प्रेतशिला पर्वत एक पिंड वेदी भी है। हिन्दू संस्कारों में पंचतीर्थ वेदी में प्रेतशिला की गणना की जाती है ।

अकाल मृत्यु को प्राप्त आत्माओं का यहाँ होता है श्राद्ध व  पिण्डदान

यहां अकाल मृत्यु को प्राप्त जातक का श्राद्ध व  पिण्डदान का विशेष महत्वपूर्ण है । ऐसी मान्यता है कि इस पर्वत पर पिंडदान करने से अकाल मृत्यु को प्राप्त पूर्वजों तक पिंड सीधे पहुंच जाते है जिनसे उन्हें कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिल जाती है । इस पर्वत को प्रेतशिला के अलावा प्रेत पर्वत, प्रेतकला एवं प्रेतगिरि भी कहा जाता है । पंचतीर्थ वेदी गया तीर्थ के उत्तर एवं दक्षिण में भी है । उत्तर के पंचतीर्थ में प्रेतशिला, ब्रहमकुण्ड, रामशिला, रामकुण्ड और कागबलि की गणना की जाती है । प्रेतशिला 876 फीट ऊंचा पुराने परतदार पर्वत पर निर्मित है। जिसके तलहटी में कुछ ऐतिहासिक गांव भी बसे है ।

जुड़ा है श्रीराम,  लक्ष्मण एवं  सीता का भी नाम

इस पर्वत से श्रीराम, लक्ष्मण एवं  सीता का भी नाम जुड़ा है । ऐसी मान्यता है कि यहां उन्होंने श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था । पर्वत पर ब्रहमा के अंगूठे से खींची गयी दो रेखाएं भी बहुत दिनों तक देखी जा सकती थी । वही ऊपर में यमराज का मंदिर, राम परिवार देवालय के साथ श्राद्धकर्म सम्पन्न करने के लिये दो कक्ष बने हुए हैं ।

Gaya Shradh

गयापाल नहीं धमीन पण्डा करते है यहाँ श्राद्ध

वैसे तो गया में गयापाल ब्राहमण श्राद्ध करते है मगर यहां के ब्राहमण गयापाल पण्डा न होकर धमीन पण्डा होते हैं जिन्हें धामी भी कहा जाता है । इनके नाम पर गया में एक मुहल्ला भी है जिसका नाम धामी टोला है। पर्वत के उपर चढ़ने के लिये सीढियां बनी हुई है । साथ ही जो लोग चढ़ने में असमर्थ हैं वो गोदी वाला अथवा पालकी वाले का सहारा लेकर ऊपर जाते हैं ।

palkiwala service at preatshila hills gaya

यहाँ हैं कई देवी देवताओं का उपासङ्गङ्खों का केन्द्र

यहाँ सूर्य, विष्णु, महिषासुर मर्दिनी, दुर्गा, शिव-पार्वती तथा अन्य ब्राह्मण संप्रदाय से संबंधित उपासङ्गङ्खों का केन्द्र स्थल माना जाता है । इसी के नीचे राम ङ्गुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि श्रीराम ने इसी ङ्गुंड में स्नान किया था ।

lord rama offer shraadh at gaya

विशेष महत्ता है ब्रहम कुण्ड की

प्रेतशिला के नीचे ब्रहम कुण्ड है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका प्रथम संस्कार ब्रहमा जी द्वारा किया गया था ।

सत्तू से पिंडदान की है पुरानी परंपरा

वैसे तो सालों भर यहां तीर्थयात्री आते रहतें है। पर हर साल पितृपक्ष समागम में यहां जुटने वाली भीड़ से पन्द्रह दिनों का मेला लगता है । प्रेतशिला पर्वत पर सत्तू (चना को पीस कर बनाया गया खाद्य सामग्री) से पिण्डदान करने की पुरानी परम्परा है ।

 people come to perform shraadh at preatshila hills

देश-विदेश से आते है लोग

एक पखवाड़े तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में प्रेतशिला पर्वत का विशेष महत्व है । इस कारण हर वर्ष पितृपक्ष के दौरान गया शहर के प्रेतशीला पर्वत पर देश-विदेश से आए हजारों पिंडदानियों का तांता लग जाता है ।

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