रमज़ान के पाक महीने में एक तरफ जहां इस्लाम धर्मावलम्बी पूरे महीने रोज़े रखकर कड़े इम्तहान से गुजरते है। वहीं रोज़ाना इफ्तार में खाए जाने वाले लजीज व्यंजन इम्तहान के इस कष्ट को अपने बेहतरीन स्वाद के जरिये भुलाने में पूरा योगदान देते है। ऐसे में रमज़ान के इस मुकद्दस महीने आप भी मज़ा लीजिए “रमज़ान स्पेशल व्यंजनों” का और जानिए मुख्तलिफ शहरों में मिलने वाले रमज़ान स्पेशल जायकों के बारे में –
क्या है रमज़ान में कश्मीर की पसंद
रमज़ान के दौरान कश्मीर के हर घर में जो खास व्यंजन बनाया जाता है उसका नाम यक्खनी है। कश्मीरियों की ये रमज़ान स्पेशल डिश शहंशाह अकबर के जमाने में पर्शिया से भारत आई थी। कश्मीर में रमज़ान के दौरान इसे बड़े प्यार से बनाया जाता है। शुरूआत में जहां सिर्फ मटन यक्खनी ही ज्यादा चलन में थी वहीं अब चिकन और फिश से लेकर शाकाहारी यक्खनी भी यहां के लोगों की पसंदीदा डिश बन गयी है जिसे गोभी, पत्ता गोभी, आलू एवं अन्य सब्जियों से तैयार किया जाता है।
दिल्लीवालों की पसंद
मुगलों के वक्त से ही पुरानी दिल्ली के ज़ायके हर बाशिंदे की जुबान पर अपने स्वाद की छाप छोड़ते आए है। ऐसे में दिल्लीवालों का रमज़ान का महीना बिना खाए-पीये निकल जाए ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
चावड़ी बाजार मैट्रो स्टेशन से 5 मिनट पैदल चलते ही आप उस्ताद मोइनुद्दीन कवाब वाले के लजीज कवाब का मजा ले सकते है। रमज़ान के महीने यहां की भीड़ देखते ही बनती है। वहीं जामा मस्जिद के पास मटीया महल में तो इस दौरान हर तरफ एक से बढ़कर एक ज़ायके आपके इंतजार में होते है। टिक्का, सीख, शम्मी कवाब और अगर वक्त रहते आप वहां पहुंच गए तो शायद आपको गिलोटी कवाब का स्वाद भी चखने मिल जाए।
लखनऊ के नवाबी ज़ायके
वैसे तो नवाबों के शहर के तकरीबन सभी व्यंजनों का स्वाद किसी का भी दिल जीत सकता है। मगर हम आपको बताएंगे रमज़ान के दौरान खाए जाने वाले यहां के सबसे खास ज़ायके के बारे में-
रमज़ान के दौरान लखनऊ में अगर आप गोल दरवाजा या अकबरी गेट का रूख करे तो चारों तरफ से आने वाली लज्ज़तदार खाने की खुशबू आपको वहां का स्वाद चखे बिना आगे नहीं बढ़ने देगी। यहां मिलने वाले निहारी-कुलचे का उम्दा स्वाद शायद ही आप कभी भुला पाए। निहारी का गोश इतना मुलायम की मुँह में जाते ही घुल जाता है और साथ में ताजे कुलचे के, भाई वाह क्या कहने!
निजामों के शहर की पसंद
वैसे तो निज़ामों के शहर में चारमीनार से लेकर यहां मिलने वाले खूबसूरत मोती और खाने में कच्ची बिरयानी आदि की अपनी एक अलग ही पहचान है। मगर जब बात रमज़ान स्पेशल डिश की हो तो यहां के लोग खाते है रमज़ान के खास मौके पर मिलने वाला ‘हैदराबादी हलीम‘। ख़ास बात ये है कि ये आपको सड़कों के किनारें रेहड़ी-खोमचों की बजाए यहां के बडे़-बडे़ नामी रेस्टोरेंट में खाने को मिलेगा जिसके दीवाने यहां आए विदेशी मेहमान भी होते है। वैसे अगर आप हैदराबाद में नहीं रहते तो भी यहां के हलीम का स्वाद ऑनलाइन आर्डर बुक कर ले सकते है क्योंकि, आजकल बहुत से नामी रेस्टोरेंट इस रमजान स्पेशल डिश को दूसरे शहरों में भी डिलिवरी कर रहे है।
कोलकत्ता में रमजान का स्वाद
कोलकत्ता का नाम ज़हन में आते ही सबसे पहले यहां के घर-घर में रोज़ाना बनने वाली मछली का नाम ही सबसे पहले आता है। मगर रमज़ान में यहां मछली के अलावा कौन सी रमजान स्पेशल डिश बनाई जाती है, आईए जानते है। कोलकाता के नाखोदा मस्जिद एवं जकारिया स्ट्रीट इलाके में रमज़ान के दौरान सैकड़ों की तादाद में छोटे-छोटे स्टाल मुख्तलिफ किस्म के कवाब से सजे नजर आते है। जहां आप सीख कवाब, बोटी कबाव, मछली कवाब आदि का मज़ा ले सकते है।
बैंगलुरू में क्या है खास
बैंगलुरू के शिवाजी नगर में रमज़ान के दिनों की रौनक से यहां के लोग सालों से वाकिफ हैं। मुस्लिम बहुल इस इलाके में रमज़ान के दिनों के शाम की रौनक यहां के लजीज व्यंजन किसी को भी अपना दीवाना बना दें। ऐसे में अगर बात यहां के सबसे अलग और रमज़ान स्पेशल डिश की करें तो वो है ऊँट के गोश से बने कवाब जी हां, आप ने सही पढ़ा! पूरे देश में शायद ही आपको कहीं और ऊँट के गोश से बने कवाब खाने या देखने को भी मिले हो ऐसे में अगर इस बार रमज़ान में अगर आप कुछ नया ट्राई करना चाहते है तो सीधे रूख कीजिए बैंगलुरू के शिवाजी नगर का।
मुम्बईकर की क्या है पसंद
रमज़ान के दिनों में मुम्बई के बोहरी मोहल्ले की सड़के नॉनवेज खाने के शौंकीनों के लिए सेहरी से लेकर इफ्तार तक सजी रहती है और ये सजावट देखने में जितनी खुबसूरत लगती है उससे कई ज्यादा लज़ीज होते हैं। रमज़ान के दौरान यहां मिलने वाले मटन कटलेट एवं वैंदी रोटी। वहीं मुम्बई के ही मिनारा मस्जिद इलाके में मिलने वाली नल्ली निहारी जिसे खाने के बाद अगर आपका मन कुछ मीठा खाने का करे तो यहां मौजूद है फिरनी और गर्मा-गर्म मावा जलेबी।
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