सनातन धर्मालाम्बियों की जितनी आस्था शिव के प्रति है उतनी शिव के निवास कैलाश मानसरोवर के भी प्रति है। हालाँकि कैलाशधाम की यात्रा कर पाना हर शिव भक्त के लिए सरल नहीं है। मगर शायद ही ऐसा कोई शिव भक्तों हो जो इस पावन, अलौंकिक धाम की यात्रा करने न करना चाहे। ऐसे में हमारा प्रयास इस लेख के द्वारा सभी शिव भक्तों को कैलाशधाम की अनुभूती करवाना है। हमारे इस विशेष लेख को पढ़िए और आत्मिक एवं मानसिक रूप से दर्शन कीजिये कैलाशधाम के-
कैलाश पर्वत की परिक्रमा एवं मानसरोवर झील के पवित्र स्नान के लिए प्रसिद्ध कैलाशधाम पृथ्वीतल से 22000 फिट की ऊँचाई पर स्थित है। पश्चिमी तिब्बत के सुदूरवर्ती क्षेत्र में (बर्फ के पिरामिड) के रूप में विधमान इस स्थान की जैनए बोनपो एवं बौद्ध धर्म में भी काफी मान्यता है।
कैलाश पर्वत की परिक्रमा एवं मानसरोवर झील के पवित्र स्नान के अलावा श्रद्धालु यहाँ स्थित गौरीकुंड एवं राक्षस तल के भी दर्शन कर सकते है। प्रचलित मान्यता के अनुसार गौरीकुंड में ही भगवान् गणेश को भगवान शिव द्वारा शीश काटने के बाद पुनर्जीवन की प्राप्ति हुई थी। वहीँ राक्षसतल के विषय में कहा जाता है कि लंकापति रावण ने यहीं भगवान शंकर की तपस्या कर उन्हें कैलाश से लंका ले जाने का वरदान प्राप्त किया था।
इसलिए सभी श्रधालुओं के लिए संभव नहीं है ये यात्रा–
भले ही कोई शिवभक्त यहाँ की यात्रा के लिए आर्थिक रूप से समर्थ हो मगर चूकी यह पूरी यात्रा कई चुनौतियों से भरी पड़ी है, इसलिए हर कोई यह अद्भुत यात्रा कर पाए ऐसा संभव नहीं है। इसके लिए कुछ विशेष नियम है यदि आप उन नियमों के अनुकूल होते है तभी आप कैलाशधाम की यात्रा कर पाते है। इस यात्रा के लिए श्रद्धालु की उम्र 10 से 70 वर्षों के बीच होना अनिवार्य है। हालाँकि 70 से 75 वर्ष तक की अधिकतम आयु वाले भी यह यात्रा कर सकते है। किन्तु इसके लिए उनका हेल्थ सर्टिफिकेट आवेदन के समय ज़रूरी होता है। यह यात्रा आपको 3 देशों से होकर करनी पड़ती है ऐसे में वैध पासपोर्ट एवं वीजा इस यात्रा की एक मुख्य अनिवार्यता है।
आप स्वस्थ शरीर के स्वामी है इसका मतलब यह नहीं कि आप इस यात्रा के लायक है। दरअसल यह यात्रा काफी दुर्गम एवं कठिन मार्गो से होकर पूरी होती है रस्ते का मौसम भी -5 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच बदलता रहता है। साथ ही थका देने वाली चढ़ाई एवं ऊँची पर्वत श्रृंखलाएं अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं होती। इतने सब के बाद भी आपकी यात्रा स्वयं भगवान् बोले शंकर की स्वीकृति पर निर्भर करती है दरअसल हर वर्ष हजारों की संख्या में शिवभक्त कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए आवेदन करते है। मगर कुछ सौ शिवभक्तों को ही अंततः यात्रा पर जाने का आनंद प्राप्त हो पाता है।
कैसे जाए?
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए वैसे तो कई मार्ग है। मगर उन सबसे पहले ये ज़रूर जान लें कि इस यात्रा के आयोजन के लिए सभी टूर ऑपरेट अधिकृत नहीं है। ऐसे में पहले अधिकृत टूर ऑपरेटर की जानकारी प्राप्त कर लें।
भारत से–
भारत में आप उत्तराखंड से 20 दिनों की चढ़ाई के बाद इस यात्रा के लिए आवेदन कर सकते है। श्रधालुओं के ये आवेदन भी कठिन प्रक्रिया से गुज़रती है।
नेपालगंज-सिमिकोट-हिलसा क्षेत्र, नेपाल-
नेपाल से यह यात्रा भारत की तुलना में थोड़ी सरल होती है। इस मार्ग से आप हेलोकोप्टर सेवा द्वारा एक सुखद यात्रा कर सकते है। वहीँ काठमांडू-क्यिरोंग, दोंगबा सड़क मार्ग पर जीप एवं लैंड क्रूज़र की सवारी द्वारा भी इस यात्रा को किया जा सकता है। हेलीकाप्टर की तुलना में सड़क मार्ग वाली यात्रा थोड़ी किफायती ज़रूर है मगर हेलीकाप्टर से जहां समय की बचत होती है और यात्रा थोड़ी सरल रहती है वहीँ सड़क मार्ग से ये यात्रा थोड़ी लम्बी एवं थकाने वाली होती है।
इसके अलावा आप चार्टर प्लेन बुक कर भी कैलाशधाम की यात्रा कर सकते है। बात अगर यात्रा के लिए अनुकूल समय की करें तो मई-सितम्बर का समय इस यात्रा का लिए अनुकूल होता है। हालाँकि सड़क मार्ग की यात्रा सड़कों की स्थिति एवं हेलीकाप्टर की यात्रा मौसम पर निर्भर करती है। ज़्यादातर लोग इस यात्रा का आनंद पूर्णिमा के दौरान लेना पसंद करते है जब पूरे कैलाश पर्वत पर चांदनी की छटा बिखरने से वहां का दृश्य बेहद मनमोहक होता है।
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