रेलयात्रा में फूड प्वाजिनिंग, डायरिया होना एक स्वभाविक घटना समझी जाती है। जबकि इसके लिए सीधे तौर पर हमारा एक गलत निर्णय जिम्मेवार होता है। क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि रेलयात्रा में आपकी तबियत अचानक खराब हो गई हो? जांच के दौरान बाद में डॉक्टर ने इसके लिए रेलयात्रा के भोजन को इसका दोषी बताया हो?
ऐसे में क्यों न आधुनिक तकनीक की उपलब्धि का फायदा अपने सुखद सफर एवं स्वस्थ शरीर के लिए किया जाए। यानि कि खुले में बने दूषित खान-पान की जगह अपना टैवल फूड वहां से मंगाएं जहां आपको अच्छी क्वालिटी के अलावा हाईजिनिक फूड की गारंटी मिले।
जी हाँ, हम बात कर रहें हैं अच्छी क्वालिटी एवं हाईजिनिक फूड की गारंटी की, जिसे सभी रेलयात्रियों तक पहुँचाने की गारंटीं है रेलयात्री डॉटइन की। आइए जाने कि कैसे रेलयात्री अपने इस दायित्व के लिए काम करता है एवं क्या है उनके रेस्टोरेंट संबंधी नियम।
विशेषज्ञों की टीम-
रेलयात्रियों तक क्वालिटी एवं हाईजिनिक फूड पहुंचाने के लिए रेलयात्री डॉटइन ने देशभर में सैकड़ों रेस्टोरेंट से समझौता कर रखा है। ऐसे में अपने सभी रेस्टोरेंट से रेलयात्रियों तक क्वालिटी एवं हाईजिनिक फूड पहुंचे के लिए रेलयात्री ने विशेषज्ञों की एक माँनिटरिंग एवं टैनिंग टीम बनाई है। रेलयात्री ने अपनी इस टीम में ऐसे लोगों की नियुक्ति कर रखी है जिनके पास शेफ से लेकर रेस्टोरेंट मैनेजर तक के पद पर कार्य करने का अच्छा खासा अनुभव है।
ये टीम लगातार हर रेस्टोरेंट की कार्य पद्धति एवं फूड की क्वालिटी को माँनिटरिंग करती है। साथ ही एक निश्चित समय अंतराल पर टीम के विशेषज्ञ सभी रेस्टोरेंट को विभिन्न तरह ट्रेनिंग देते है। नीचे पढ़िए टैनिंग एवं माँनिटरिंग से जुडे़ं कुछ मु़ख्य बिन्दुओं के बारे में-
पर्सनल हाईजिन-
टीम का ये मानना है कि किचन टीम में काम करने वाले लोग यदि व्यक्तिगत साफ-सफाई नहीं रखते, तब वे साफ सुथरा भोजन भी नहीं तैयार कर सकते। ऐसे में सभी रेस्टोरेंट स्टाफ को ये बात बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से बताई जाती है कि भोजन बनाने के पहले हाथ धोना, पकाते समय ग्लवस, शेफ कैप एवं एैप्रन पहनना कितना जरूर है। उनके इस्तेमाल का सही तरीका क्या है। वहीं किचन टीम के अस्वस्थ सदस्य को किचन से दूर रखने, कुकिंग के समय संक्रमित वस्तुओं को न छूने एवं किचन के भीतर धूम्रपान न करने संबंधी निर्देश दिए जाते।
किचन हाईजिन-
किचन एक ऐसी जगह है जिसके गंदा होने पर आप वहां साफ सुथरा खाना बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। यहां विशेषज्ञों की टीम ये चेक करती है कि जहां खाना बनाया जा रहा है वह स्लैब, बर्तन साफ सुथरे है कि नही। साथ ही ये भी देखती है कि किचन फ्लोर के अलावा फ्रिज, अलमारी एवं सीलिंग में लगे पखें, कब एवं कैसे साफ करते है। रेस्टोरेंट की किचन टीम को इस बावत भी ट्रेनिंग दी जाती है।
रेलयात्री फूड्स सर्विस विडियो
पेस्ट कंट्रोल-
हालांकि पेस्ट कंट्रोल किचन हाईजिन का ही हिस्सा है मगर विशेषज्ञ इसे अलग से पूरा समय देते है। हर रेस्टोरेंट जो रेलयात्री का पार्टनर है उसके लिए एक निश्चित समय अंतराल पर किचन का पेस्ट कंट्रोल करवाना अनिवार्य शर्त है। बरसात के दिनों में जब वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होती है तब पेस्ट कंट्रोलिंग की प्रक्रिया को कम अवधी में दोहराया भी जाता है।
कुकिंग-
हालांकि सभी रेस्टोरेंट चटपटे मसालेदार व्यंजनों के लिए जाने जाते है। मगर चुकी रेलयात्री के फूड्स आर्डर अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों के लिए होते है। ऐसे में ऐसा खाना परोसना हमारी जिम्मेदारी होती है जिससे न तो आपको खाने के स्वाद में कमी महसूस हो न ही स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी आए।
पैकेजिंग-
बात अगर पैकेजिंग की करें तो यहां ये प्रक्रिया भी बहुत मायने रखती है। पैकिंग का तरीका इस प्रकार का होता है कि उसमें पैक सभी व्यंजन आपस में मिल न जाए। वहीं ताज़ा बने गर्म खाने को तुरंत पैक नहीं किया जा सकता। इससे वह बहुत जल्दी खराब हो सकता है।
स्टोरेज संबंधी नियम-
साग-सब्जी से लेकर मांस, मसालों तक सभी खाद्य पदार्थो के उपयोग का एक निश्चित समय एवं स्टोर करने का तरीका होता है। ऐसे में स्टोरेज संबंधी नियमों के द्वारा इस प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां ये भी बताया जाता है कि खाद्य पदार्थों को कैसे स्टोर कर रखना है और कब तक ये चीज़े इस्तेमाल लायक होती है।
यहां मसालों, दालों जैसे सामानों को हवाबंद डिब्बों में ऊपर एक्सपायरी डेट लिखकर रखा जाता है। वहीं कोई भी खाद्य पदार्थ खुले में न रहे इसके लिए विभिन्न प्रकार डिब्बे, ढक्कन एवं पैकिंग मटेरियल उपयोग में लाएं जाते हैं। मांस एक ऐसी चीज है जिसे ज्यादा समय तक या ज्यादा मात्रा में स्टोर कर नहीं रखा जा सकता। पकाया हुआ बांसी मांस भी किसी को नहीं परोसा जा सकता साथ ही इसे हमेशा फ्रिज के सबसे नीचे वाले शेल्फ में ही रखा जाता है।